हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाएं मंगलसूत्र पहनती हैं। शादी के बाद महिलाओं के 16 श्रृंगार में से सबसे जरूरी मंगलसूत्र को ही माना जाता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि सबसे पहले मंगलसूत्र पहनाने की परंपरा भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से हुई थी।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंगलसूत्र को सुहाग की निशानी माना जाता है। शादी के बाद महिलाएं हमेशा अपने गले में मंगलसूत्र पहने रहती हैं।
ऐसी मान्यता है कि मंगलसूत्र धारण करने से भगवान शिव और मां पार्वती सुहाग की रखा करने का काम करते हैं। काले रंग के मोती शनिदेव का प्रतीक हैं, जो सुहाग को नजर दोष से बचाने में मददगार है।
हम सभी जानते हैं कि मंगलसूत्र में सोना भी होता है। शास्त्रों के अनुसार, सोने को पहनने से शरीर शुद्ध होता है। यही कारण है कि मंगलसूत्र में सोने का अंश जोड़ा जाता है।
मंगलसूत्र में 9 मनको होते हैं और शास्त्रों में बताया गया है कि ये ऊर्जा के 9 अलग रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये ऊर्जाएं पति और पत्नी को बुरी नजर से बचाने में मददगार है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि मंगलसूत्र का खोना या टूटना शुभ नहीं होता है। यदि ऐसा होता है तो यह किसी अपशगुन की ओर संकेत करता है।
यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यता पर आधारित है। नईदुनिया की तरफ से उपरोक्त सूचना की पुष्टि बिल्कुल नहीं की जा रही है।
मंगलसूत्र पहनने से जुड़ी परंपरा को लेकर हमने बात की। ऐसी ही अन्य धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ