रुद्राक्ष पहनने वालों पर महादेव की विशेष कृपा होती है। प्राचीन काल से ही इसे दिव्य शक्तियों की वजह से इसे बेहद शुभ माना जाता है। आइए जानते है कैसे भोले बाबा से संबंधित है रुद्राक्ष?
रुद्राक्ष में रुद्र का अर्थ अक्ष यानी अश्रु होता है। इस मोती को शिव जी का विशेष आशीर्वाद भी कहा जाता है। रुद्राक्ष को लेकर कई कथाएं प्रचलित है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिपुरासुर नामक राक्षस के पास कई प्रकार की दैवीय ऊर्जा थी। वह बेहद अहंकारी था और देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों को परेशान करता था।
देवताओं और ऋषि मुनियों ने शिव जी से त्रिपुरासुर को मारने की प्रार्थना की थी। देवताओं की व्यथा सुनकर भगवान ध्यान में चले गए और जब उन्होंने नेत्र खोला तो उसमें से आंसू निकले।
पृथ्वी पर जहां-जहां शिव जी के आंसू गिरे, वहां- वहां रुद्राक्ष का पेड़ उग आया। इसके बाद भोले बाबा ने त्रिपुरासुर का वध करके पूरे जगत में शांति स्थापित की थी।
रुद्राक्ष एक सूखा फल हैं, जो रुद्राक्ष के पेड़ पर उगता है। जाप करने वाली में 108 रुद्राक्ष होते है। वहीं अलग-अलग रूपों में 1 से लेकर 27 मुखी तक के रुद्राक्ष पाए जाते है।
जो भी साधक रुद्राक्ष को धारण करते है उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष को शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी आदि तिथि के दिन धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष को धारण करते समय.पवित्रता का खास ख्याल रखना चाहिए। 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए रुद्राक्ष धारण करने चाहिए।