शास्त्रों में रुद्राक्ष धारण करने के विभिन्न लाभों के बारे में बताया गया है। मान्यता है कि रुद्राक्ष महादेव के आसुओं से निर्मित हुआ है।
रुद्राक्ष धारण करने के बाद कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। आइए जानते हैं ऐसी जगहों के बारे में जहां रुद्राक्ष धारण करके नहीं जाना चाहिए।
श्मशान घाट में कभी भी रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने के बाद व्यक्ति को मांस-मदिरा से दूरी बना लेनी चाहिए। वहीं ऐसी जगह नहीं जाना चाहिए।
रुद्राक्ष उस जगह पहनकर नहीं जाना चाहिए। जहां किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। हिंदू धर्म के अनुसार, बच्चे के जन्म के एक महीना सौवर माना जाता है।
सोने से पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए। सोते समय हमारा शरीर निस्तेज रहता है। साथ ही इसके टूटने का भय रहता है।
अमावस्या, पूर्णिमा, श्रावण सोमवार, शिवरात्रि और प्रदोष के दिन रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है।
जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर होने पर एक मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से चंद्र ग्रह मजबूत होता है। व्यक्ति उचित निर्णय लेने में सक्षम होता है।
चार मुखी रुद्राक्ष का स्वामी बुध ग्रह है। इसको धारण करने से स्मरण शक्ति और वाणी में मिठास आती है।
डायबिटीज, मोटापा और किडनी से जुड़ी बीमारी से बचने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना अच्छा माना जाता है।
इसके अधिष्ठाता भगवान गणेशऔर ग्रह देवता शुक्र है। नपुंसकता, पथरी और मूत्र रोग के लिए इसे धारण कर सकते हैं।
इस रुद्राक्ष में सप्त नाग निवास करते हैं। इसके ग्रह शनि देव हैं। दुर्बलता, लकवा, हड्डी रोग, कैंसर और अस्थमा के लिए धारण कर सकते हैं।
नौमुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह केतु है। फेफड़े, ज्वर, नेत्र रोग और संक्रामक रोगों के लिए धारण किया जाता है।
दसमुखी रुद्राक्ष विष्णु का स्वरूप बताया गया है। इसे धारण करने से सभी ग्रह शांत रहते हैं।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को साक्षात् रुद्र कहा गया है। इसे धारण करने से कई हजार यज्ञ कराने का फल मिलता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
कहा जाता है कि अगर तेरह मुखी रुद्राक्ष मिल जाए तो सारी मनोकामना पूरी हो जाती है।
चौरह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से जातक भगवान शिव के समान पवित्र हो जाता है।