सावन का महीना शुरु होने वाला है। भगवान शिव के साथ उनके भक्तों के लिए भी बहुत विशेष माना जाता है। इस महीने में शिव जी की पूजा करने से फलों की प्राप्ति होती है। इस बार जो लोग सावन का व्रत पहली बार रख रहे हैं, वह इस व्रत के नियम जान लें-
सावन के दिनों में या सोमवार के दिन बेलपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए। अगर सोमवार को व्रत रख रहे हैं, तो एक दिन पहले रविवार को बेलपत्र तोड़कर रख लें।
शिव पुराण के अनुसार, कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए यानी कभी भी जलहरी को लांघना नहीं चाहिए। इससे माता पार्वती नाराज होती है।
भगवान शिव की पूजा करते समय उन्हें शंख से जल अर्पित न करें। साथ ही, केतकी के फूल और सिंदूर न चढ़ाएं। शिव जी को चंदन का तिलक लगाया जाता है। शिव की कृपा पाने के लिए उन्हें पीलत के लोटे से जल चढ़ाएं।
सावन के व्रत के समय में जल और दूध अर्पित किया जाता है। लेकिन शिव जी को स्टील या तांबे के लोटे से जल नहीं चढ़ाना चाहिए इससे वह कोध्रित होते हैं। हमेशा पीतल के लोटे से जल अर्पित करें।
सावन में भगवान शिव को दूध अर्पित किया जाता है। इससे चंद्र दोष भी दूर होते हैं और मानसिक शांति मिलती है लेकिन दूध का सेवन नहीं किया जाता है।
इस बार का सावन खास माना जा रहा है, क्योंकि सावन की शुरुवात सोमवार को हो रही है और इसका समापन भी 19 अगसत को हो रहा है उस दिन भी सोमवार पड़ रहा है।
इन नियम के अनुसार सावन का व्रत रखा जा सकता है। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM