सनातन धर्म में घर के पूजा घर में शंख रखने का अत्यंत महत्व माना गया है। इसका उपयोग पूजा व शुभ कार्यों में किया जाता है।
माना जाता है कि शंख की उत्पत्ति देव और दानवों के बीच सुमद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी के साथ हुआ था।
मंथन के दौरान 14 रत्नों का प्राप्ति हुई थी, इनमें से एक शंख भी एक मूल्यवान रत्न था। इसलिए यह माता लक्ष्मी को अति प्रिय है।
धार्मिक कार्यों, विवाह एवं उत्सव में इसे बजाने की परंपरा है, शंख की आवाज अत्यधिक शुभ एवं मंगलकारी मानी गई है।
आध्यात्मिक एवं वास्तु दृष्टि से बहुत ही शुभ माना गया है इसे घर में रखने से घर में सकारात्मक शक्ति का वास होता है।
इन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, दक्षिणावर्ती (दाएं हाथ में पकड़ने वाला), मध्यावर्ती (खुले मुंह वाला शंख) और वामवर्ती (बाएं हाथ में पकड़ा जाने वाला) शंख है।
इन तीनों शंखों में सबसे अद्भुत शंख दक्षिणावर्ती शंख माना गया है। यह बहुत पाया जाता है।