शरद पूर्णिमा हर साल शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी तिथि के अगले दिन मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 28 अक्टूबर को पड़ रहा है। आइए जानते हैं इस दिन कैसे करे सत्यनारायण की पूजा और जानते है शुभ मुहूर्त के बारे में।
शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता हैं कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से दोगुने फल की प्राप्ति होती है।
पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु का व्रत किया जाता है और साथ ही श्री सत्यनारायण की पूजा भी की जाती है। भगवान की पूजा करने से जीवन में आ रही समस्याओं से भी छुटकारा मिलता हैं।
हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाए जाने वाली शरद पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर को है। चंद्रग्रहण भी इसी पर्व पर लग रहा है।
इस वर्ष पर चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर में लगभग 2 बजकर 50 मिनट से लगेगा और 29 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
सबसे पहले भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर प्रणाम करें और गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। अब आचमन करके स्वयं को शुद्ध कर लें। पीले रंग का वस्त्र धारण करके पूजा-अर्चना करें।
पूर्णिमा के दिन भगवान सूर्य को जल देते समय उसमें तिल भी डाल लें। इस दिन तिलांजली देने का भी विशेष महत्व होता है। जल की धारा में तिल भी प्रवाहित करने चाहिए।
तिलांजली के पश्चात विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। नए या साफ सुथरे कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। सत्यनारायण की कथा का जाप करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।