हर साल की तरह इस साल भी पितृपक्ष के समापन के साथ ही नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। आइए जानते हैं कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
नवरात्रि के 9 दिनों तक मां-दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 15 अक्टूबर से हो रहा है और इसका समापन 23 अक्टूबर को होगा।
घटस्थापना मुहूर्त पर करना बेहद जरूरी होता है।कलश स्थापना का शुभ समय 5 अक्टूबर को 11.44 से 12.30 के बीच रहेगी।
कलश स्थापना के लिए 44 मिनट का समय रहेगा। अमावस्या के दिन और रात के समय में गलती से भी घटस्थापना न करें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
घटस्थापना के लिए 7 अलग-अलग प्रकार के अनाज, छोटी मिट्टी या पीतल का कलश, गंगाजल, इत्र, कलावा, सुपारी, कलश में रखने के लिए सिक्का, 5 आम या अशोक के पत्ते, अक्षत और नारियल, गेंदे का फूल, लाल कपड़ा और दूर्वा घास जैसी चीजें लगेंगी।
कलश स्थापना के लिए मिट्टी का बर्तन ले लें। बर्तन में मिट्टी डालकर उसमें अनाज डालें। मिट्टी के तीन परतें बनाएं और उसमें थोड़ा सा पानी डालें।
कलश में गंगाजल भरें और कलावा बांधे। इस जल में अक्षत, सुपारी और सिक्का डालें। इस कलश के किनारे पर 5 आम या अशोक के पत्ते रख दें।
कलश स्थापना के लिए नारियल पर लाल कपड़ा बांधकर और कलावे से लपेटकर उसे कलश पर रख दें। इस कलश को स्थापना के 9 दिनों तक हिलाना नहीं है। साथ ही, लोग 9 दिन तक अखंड ज्योति भी जलाते हैं।