15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है जिसमें हम मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं।
क्या आप जानते हैं कि जिस नवरात्रि में हम माता का पूजन करते हैं उनकी मान्यताएं क्या हैं और उनका जन्म कैसे हुआ?
देवी का जन्म सबसे पहले दुर्गा के रूप में जाना जाता है जिसे राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए जन्म दिया गया था।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक देवताओं को भगाकर महिषासुर ने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था तब सभी देवी-देवता मिलकर त्रिमूर्ति के पास गए थें।
जिसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ने मिलकर एक आकृति बनाई और सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां उसमें डाल दी।
जिसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ने मिलकर एक आकृति बनाई और सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां उसमें डाल दी।
यही एक कारण है जिसके चलते मां दुर्गा को शक्ति भी कहा जाता है। दुर्गा की छवि बेहद सौम्य और आकर्षक थी।
क्योंकि सभी देवताओं ने मिलकर उन्हें शक्ति दी इसलिए वो सबसे ज्यादा ताकतवर देवी के रूप में जानी जाती हैं। उनकी महिमा अपरंपार है।
मां दुर्गा को शिव का त्रिशूल, विष्णु का चक्र, ब्रह्मा का कमल, वायु देव से नाक, हिमवंत से कपड़े, धनुष और शेर मिला और एक-एक शक्तियों से मां दुर्गा बनी और युद्ध के लिए तैयार हुईं।