15 अक्टूबर आश्विन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। जिसके लिए कई सारे नियम होते हैं।
नवरात्रि का त्योहार लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस दौरान नौ दिनों तक भक्त माता रानी की आराधना करते हैं।
इस नवरात्रि के दौरान लहसुन और प्याज खाने के लिए मनाही होती है। आपके मन में यदि यह सवाल होगा कि क्यों, तो आइए हम आपको बताते हैं।
आयुर्वेद का इसके ऊपर मानना है कि सात्विक खाना हीलिंग फूड होता है। इसलिए जब हम इसे खाते हैं, तो इसके पाचन में समय लगता है।
ये पुराने समय से खाना पकाने और खाने के पारम्परिक रिवाज पर आधारित है, जो पाचन को बढ़ावा देने और शांत दिमाग रखने से अपने शानदार कल्याण प्रोत्साहन का दावा करता है।
ये पुराने समय से खाना पकाने और खाने के पारम्परिक रिवाज पर आधारित है, जो पाचन को बढ़ावा देने और शांत दिमाग रखने से अपने शानदार कल्याण प्रोत्साहन का दावा करता है।
नवरात्रि के दौरान हिंदू समुदाय में डिब्बाबंद और बोतलबंद कुछ भी नहीं खाते हैं। पैक किए गए और जमे हुए खाने को भी नहीं खाते हैं।
आयुर्वेद खाद्य सामग्री को तीन अलग-अलग विशेषताओं में बांटा गया है, जो सात्विक, रजस और तामस है। इसके अर्थ शुद्ध, ऊर्जावान और स्वच्छ होता है।
नवरात्रि के दौरान सात्विक खाते हैं और प्याज-लहसुन जैसी चीजें मनाही होती है। क्योंकि उन्हें प्राकृतिक तामसी माना गया है।