नियमित रूप से स्नान के बाद सूर्य देव को पूर्ण अर्घ्य देने से वे प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। जिससे व्यक्ति का दुर्भाग्य दूर होता है।
सूर्य देव को जल अर्पित करते समय हमेशा तांबे के लोटे का उपयोग किया जाता है। कहा जाता है कि तांबा सूर्य की धातु है।
सुबह के समय अगर अर्घ्य अर्पित कर रहे हैं तो उसमें अक्षत, रोली, फूल आदि जल में शामिल करें। इससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
अगर आप सूर्यदेव को जल अर्पित कर रहे हैं तो जल चढ़ाते समय गायत्री मंत्र का जाप करें।
सूर्य देव को जल अर्पित करते समय जो पानी की धारा निकलती है उनमें से सूर्य की किरणों को देखने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद जमीन पर गिरे जल को मस्तक पर लगाएं। ऐसा करने से सूर्यदेव सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।