भारतीय ज्योतिष के मुताबिक, जिस समय किसी जातक का विवाह योग बनता है, उस समय यदि विवाह नहीं होता है तो विवाह में देरी होने लगती है।
किसी भी जातक के विवाह में देरी होने का मुख्य कारण मांगलिक दोष भी है। मांगलिक लोगों का विवाह का योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनता है।
जिन युवक-युवतियों के विवाह में देरी होती है, उनकी कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को जानकर पता किया जा सकता है कि विवाह में कितना विलंब होगा।
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, सूर्य, मंगल, बुध लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डालते हो और गुरु 12वें भाव में बैठा हो तो व्यक्ति का विवाह देरी से होता है।
कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो और लग्न (प्रथम) भाव में, सप्तम भाव में और 12वें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक न हो तो विवाह में बाधाएं आती है।
सप्तम भाव में शनि और गुरु हो तो शादी तय होने में देर होती है। चंद्र की राशि कर्क से गुरु सप्तम हो तो विवाह में बाधाएं आती हैं।
यदि किसी जातक की कुंडली के चौथे भाव या लग्न भाव में मंगल हो और सप्तम भाव में शनि हो तो व्यक्ति खुद ही शादी में रुचि नहीं दिखाता है।