इंदौर के खजराना स्थित गणेश मंदिर का निर्माण 1735 में होलकर वंश की महारानी अहिल्या बाई ने करवाया था। यहां दर्शन करने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
इंदौर के बिजासन माता मंदिर का इतिहास करीब एक हजार साल पुराना है। वर्ष 1760 में इंदौर के महाराजा शिवाजीराव होलकर ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।
इस मंदिर को नौवीं शताब्दी में इंडो-आर्यन और द्रविड़ स्थापत्य शैली के संयोजन का उपयोग कर बनाया गया था। मंदिर की दीवारों पर कृष्ण लीला का चित्रण है।
इस मंदिर में गणेशजी की 119 साल पुरानी बैठी मुद्रा में 25 फीट ऊंची मूर्ति है। इसे बनाने में करीब तीन साल का समय लगा था। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
इंदौर के पितृ पर्वत पर पितरेश्वर हनुमानजी की 108 टन वजनी मूर्ति विराजित है। इस 72 फीट ऊंची मूर्ति को ग्वालियर के 125 कारीगरों ने सात साल में बनाया था।
देशभर में 11 ज्योतिर्लिंग मंदिर हैं। इनमें उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर भी शामिल है। यहां सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है। यहां देश-विदेश से लोग दर्शन के लिए आते हैं।
यह मंदिर नर्मदा तट पर स्थित है। मान्यता है कि रात्रि के समय भगवान शिव यहां पर प्रतिदिन सोने के लिए लिए आते हैं। वे माता पार्वती के साथ यहां चौसर खेलते हैं।
यहां मंदिर में दो देवी विराजमान हैं, जिनमें से एक को तुलजा भवानी और दूसरी को चामुंडा देवी के नाम से जाना जाता है। देवास माता मंदिर को 52 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है।