ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के कारक शुक्र को सुख, समृद्धि, संपन्नता, ऐश्वर्य, विलासिता, प्रेम, रोमांस का कारक माना जाता है। इस ग्रह का प्रभाव सही होना जरूरी है।
ऐसी मान्यता है कि जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है उनके जीवन में सुख समृद्धि और रोमांस की कमी नहीं होती है।
शुक्र ग्रह की तरह ही उनकी महादशा को बेहद ही शुभ माना जाता है। जिस भी व्यक्ति के जीवन में शुक्र की महादशा आ जाती है उसके हर बिगड़े काम बन जाते हैं।
खराब वहीं, जिन लोगों के जीवन में शुक्र योग नहीं होता है उन्हें कठिनाइयों और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं इसके क्या प्रभाव दिखते हैं।
शुक्र ग्रह की महादशा के दौरान शनि और राहु ग्रह की अंतर्दशा भी चलती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से शुक्र की महादशा के दौरान आने वाली इस अंतर्दशा का अलग फल मिलता है।
यदि कुंडली में शुक्र नीच में है तो हर शुक्रवार को व्रत रखें। साथ ही माता लक्ष्मी की विधिवत पूजन करें और उन्हें खीर का भोग भी लगाएं।
शुक्रवार के दिन चीटियों को आटा और चीनी खिलाना चाहिए। शुक्रवार के दिन ॐ शुक्राय नम का 108 बार जाप करना चाहिए।
इस लेख में दी गई सभी जानकारियां एक सामान्य मान्यताओं पर आधारित है जिसकी हम अपनी तरफ से कोई भी पुष्टि नहीं करते हैं।