साल 1506 के आसपास तानसेन का जन्म ग्वालियर से 40 किलोमीटर दूर बेहट नाम के गांव में हुआ था
तानसेन जन्म से गूंगे थे। वे हर दिन बकरियों का दूध शिव पर चढ़ाते थे, एक दिन भूल गए।
रात को खाना खाते समय उन्हें याद आई। दूध का लोटा लेकर वे मंदिर आए, भगवान ने खुश हो उन्हें आवाज दी।
पहली बार तानसेन ने इतना मुधर गाया...शिव मंदिर सहित उनकी तरफ खिंचे चले आए। मंदिर आज भी टेड़ा है।
सुर सम्राट तानसेन की याद में ही मोहम्मद गौस मकबरा परिसर में हर साल तानसेन समारोह होता है।
समारोह में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक के कलाकार तानसेन को स्वरांजलि देते हैं।