ग्वालियर में रॉक-कट जैन स्मारक आकर्षित करते हैं सैलानियों को


By Anil Tomar01, Aug 2023 12:22 PMnaidunia.com

गोपाचल पर्वत में है राॅक कट मूर्तियां

गोपाचल पर्वत पर प्रसिद्ध रॉक-कट जैन स्मारकों को देखेंगे। यहां हम ग्वालियर किले की दीवार के चारों ओर जैन मूर्तिकला मूर्तियों का समूह देख सकते हैं। यह कृति मुख्यतः 7वीं एवं 15वीं शताब्दी की है।

क्या होती है राॅक कट मूर्तियां

वे मूर्तियां पर्वत यानि पहाड़ के पत्थर को काट कर पहाड़ी में ही बनाई जाती हैं। उन्हें रॉक कट मूर्तियां कहा जाता है। गोपाचल पर्वत में मूर्तियां दो मीटर से 15 मीटर तक की ऊंचाई की बनाई गई हैं।

तोमर राजवंश के संरक्षण में बनी

रॉक स्मारक तत्कालीन समय में तोमर राजवंशों के संरक्षण में बनाया गया था। तोमर राजाओं ने जैन धर्म को जैन समुदाय को आश्रय व सुरक्षा प्रदान किया था। उन्होंने ही रॉक कट मूर्तियां पर्वत श्रेणी में बनाई।

इसलिए पड़ा गोपाचल पर्वत नाम

गोपालचल पर्वत पर 7वीं शताब्दी से पहले जंगल था और यहां पर गाय चराई जाती थी। इसलिए इस पर्वत श्रेणी को गोपाल पर्वत नाम दिया गया।

पांच समूहों में है रॉक कट स्मारक

पहाड़ी के पूर्वी हिस्से पर एक लंबी सीधी चट्टान पर स्थित, गोपाचल पर्वत सबसे बड़ा है और ग्वालियर में रॉक-कट जैन स्मारकों के पांच समूहों में से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

18 विशाल मूत्रियां हैं स्मारक में

गोपाचल पर्वत में 18 विशाल मूर्तियां हैं। कुछ 10 मीटर तक ऊंची हैं, लेकिन 2 मीटर से 5 मीटर तक ऊंची कई मूर्तियां हैं। मूर्तियों का आकार मिस्र के विभिन्न स्थलों की याद दिलाता है।

मुगल काल में हुआ नष्ट करने का प्रयास

रॉक स्मारक को मुगलकाल में नष्ट करने का प्रयास किया गया। इस वजह से अधिकतर मूर्तियां खंडित हालत में दिखाई देती हैं। हालांकि कई मूर्तियां बिलकुल सही हैं और उन्हें संरक्षित किया गया है।

कई मुर्तियां हैं गुफाओं में

गोपाल पर्वत में गई गुफाएं हैं। इन गुफाओं में भी मूर्तियां बनी हुई है। इन सभी को आर्किलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया ने संरिक्षत किया है।

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