काशी में भैरव बाबा के आठ रुप है, जहां वह अलग-अलग विराजमान है। जब भी कोई बड़ा इंसान काशी जाता है, तब भैरव बाबा के मंदिर जरूर जाता है। जो भी भक्त अपनी पीड़ा लेकर आता है, उसे भैरव बाबा पीड़ा से मुक्ति दिलाते हैं।
हिंदू धर्म में बाबा भैरव बहुत अधिक महत्व रखते हैं। भैरव का अर्थ होता है, भय का हरण करने वाला। भगवान काल भैरव शिव जी के गण और पार्वती जी के अनुचर माने जाते हैं।
पाप से मुक्ति काशी के बाबा भैरव मंदिर के दर्शन करने से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं रहता है। भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
जो इंसान किसी रोग से लंबे समय से पीड़ित है, उसे भैरव बाबा की पूजा करने से रोग, तकलीफ और दुख भी दूर होती हैं। जीवन में खुशहाली का आगमन होता है।
वाराणसी में बाबा काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि काशी नगरी में काल भैरव की मर्जी चलती है। काशी में बाबा काल भैरव को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी।
भैरव बाबा के प्रसाद में मिले काले धागे में नौ गांठ लगाकर पुरुषों को दाहिने हाथ में तथा महिलाओं को बाएं हाथ में पहनना चाहिए या गले में धारण करें। इससे भी जीवन में किए गए गलत कामों से छुटकारा मिल सकता है।
भैरव बाबा के मंदिर में बिना संकोच किए जो भी मांगते हैं, वह पूरा होता है। मन में किसी प्रकार की गलत भावना न रखें। इससे जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
काल भैरव मंदिर में दर्शन करने पर पाप से मुक्ति मिलती है । एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM