नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गा अष्टमी और महाअष्टमी के नाम से भी जानते हैं। इसकी काफी ज्यादा महत्त्व होता है।
इस दिन माता रानी के आठवें रूप की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं आखिर क्यों इस दिन का महत्व ज्यादा होता है?
नवरात्रि के आठवें दिन देवी मां महागौरी हैं। मां गौरी का वाहन बैल और शस्त्र त्रिशूल है। परम कृपालु महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से पूरे विश्व में विख्यात हैं।
भगवती महागौरी की आराधना सभी मनोवांछित कामना को पूर्ण करने वाली और भक्तों को अभय, रूप व सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं।
कलावती नाम की यह तिथि जया संज्ञक है। मंगलवार को अष्टमी सिद्धिदा और बुधवार को मृत्युदा होती है। इसकी दिशा ईशान कोण है।
कलावती नाम की यह तिथि जया संज्ञक है। मंगलवार को अष्टमी सिद्धिदा और बुधवार को मृत्युदा होती है। इसकी दिशा ईशान कोण है।
ईशान कोण में भगवान शिव सहित सभी देवताओं का निवास है इसलिए इस अष्टमी का महत्व कई गुना ज्यादा है।
अधिकतर घरों में महाष्टमी की पूजा होती है। देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि सभी अष्टमी नवमी को पूजते हैं।
कथाओं में यह वर्णित है कि इस दिन मां चंड-मुंड ने राक्षसों का संहार किया था। इस दिन व्रत रखने का खास महत्व होता है।