हिंदू धर्म में सुंदरकांड के पाठ को विशेष महत्व है। धार्मिक मानयताओं के अनुसार गोसवामी तुलसीदास दारा रचित रामचरित मानस के 7 कांडों में से एक सुंदरकांड है। ऐसा माना जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन की सारी विपत्तियां दूर होती है और काम में आने वाली बाधाएं भी दूर हो जाती है। आइए जानते हैं कि सुंदरकांड पढ़ने के क्या नियम है-
सुंदरकांड को पढ़ने से पहले प्रार्थना का पाठ करना चाहिए। इस प्रार्थना में भगवान राम का स्तुति करते हैं और उनसे शुभकामनाएं मांगते हैं कि वे ध्यान, शक्ति और शुभ बुद्धि प्रदान करें जिससे सुंदरकांड का पाठ पूरा कर सकें।
सुंदरकांड का पाठ शुरू करने वाले हैं, तो उससे एक दिन पहले प्याज, लहसुन ,मांस ,मदिरा इन सब का सेवन न करें। इसके सेवन से फलों की प्राप्ति नहीं होती और हनुमान जी नाराज होते हैं।
सुंदरकांड का पाठ मंगलवार और शनिवार को करना शुभ माना जाता है। इस दिन पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। बल, बुद्धि के साथ-साथ विद्या का आशीर्वाद भी प्राप्त हो सकता है।
सुंदरकांड का पाठ सुबह या शाम के 4 बजे के बाद ही करना चाहिए। इसे कभी-भी दोपहर 12 बजे के बाद नहीं करना चाहिए। क्योंकि हनुमान जी श्री राम की भक्ति में लीन रहते हैं।
सुंदरकांड का पाठ करने से पहले स्नान-ध्यान करें। क्योंकि इस पाठ को करने से पहले तन और मन की शुद्धता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है और हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करें।
सुंदरकांड का पाठ लगातार 21 दिन पाठ करने के नियम है। लेकिन अपनी इच्छा के अनुसार 11, 21, 31 या 41 दिन तक कर सकते हैं और सबके नियम सामान है।
हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ पूरा होने के बाद आरती जरूर करें। इससे पाठ पूरा माना जाता है और सभी लोगों में प्रसाद जरुर दें।
ये सुंदरकांड पढ़ने के नियम है । एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM