सनातन धर्म में मंदिर में प्रवेश करते ही लोग घंटी अवश्य बजाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है?
सनातन धर्म में मान्यता के अनुसार, मंदिर में घंटी बजाने से वहां स्थापित मूर्तियों में चेतना जागृत होती है।
मान्यता के अनुसार, मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं को घंटी और शंख की आवाज प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि प्रवेश से पहले घंटी बजाने से प्रतिमा में चेतना जागती है।
मंदिर में सच्चे मन से घंटी बजाने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही यह बुरी शक्तियों से बचाता है।
मंदिर में घंटी बजाने से दिमाग की तंत्रिकाएं एक्टिव हो जाती है। यह तनाव को कम करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करती हैं।
मंदिर में घंटी बजाने से निकलने वाली ध्वनि तरंगें वायुमंडल में मौजूद सूक्ष्म कीटाणुओं और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती हैं।
मंदिर में प्रवेश के दौरान घंटी बजाने से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है। यह भक्त व भगवान के बीच एक आध्यात्मिक जुड़ाव को दर्शाता है।
मंदिर में घंटी बजाना भगवान के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, घंटी की ध्वनि ॐ के स्वरूप को दर्शाती है, ये ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है।
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