बृहस्पति ग्रह को गुरु ग्रह के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को देवगुरु, ज्ञान का कारक कहकर बुलाया जाता है। गुरु एक महान ग्रह है।
जन्मकुंडली में गुरु बलवान होने पर व्यक्ति ज्ञानवान एवं सर्वगुण संपन्न होता है क्योंकि नवग्रहों में बृहस्पति सबसे शुभ ग्रह होता है।
यदि आपकी जन्मकुंडली में गुरु कमजोर हो तो आपकी शादी में दिक्कतें आ सकती हैं। उपायों के माध्यम गुरु की बलवान करने से कन्या को सुहाग एवं संतान सुख प्राप्त होता है।
गुरु संतान का कारक भी माना गया है। गुरु को बलवान करने के लिए पुखराज सोने की अंगूठी में जड़वाकर गुरुवार के दिन तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।
सर्वाधिक शुभ ग्रह होने के कारण गुरु ग्रह की दृष्टि कल्याणकारी मानी गई है। सामान्य ज्योतिष अनुसार किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में केंद्र में बैठा बृहस्पति ग्रह अनेक दोषों का शमन करता है।
सर्वाधिक शुभ ग्रह होने के कारण गुरु ग्रह की दृष्टि कल्याणकारी मानी गई है। सामान्य ज्योतिष अनुसार किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में केंद्र में बैठा बृहस्पति ग्रह अनेक दोषों का शमन करता है।
गुरु सबसे ज्यादा बलवान चंद्रमा की राशि में होता है इसलिए कर्क गुरु की उच्च राशि भी मानी गई है। शनि की मकर राशि में गुरु निर्बल होने के कारण नीच राशि के कहलाते हैं।
गुरु उच्च एवं स्वराशि में गुरु विशेष प्रभावशाली माना जाता है, नीच राशि में गुरु का शुभ प्रभाव नगण्य होता है। यह काफी सुखदाई माना गया है।
इस लेख में दी गई सभी जानकारियां एक सामान्य मान्यताओं पर आधारित है जिसकी हम अपनी तरफ से कोई भी पुष्टि नहीं करते हैं।