सनातन धर्म में सुबह और शाम दीया जलाने का विशेष महत्व है। हर दिन सुबह शाम घर के दरवाजे और तुलसी के चौरे पर दीया जलाना शुभ माना जाता है।
दीया जलाना अग्नि के छोटे स्वरूप में भगवान का आह्वान का प्रतीक माना जाता है। कभी कभी बत्ती उपलब्ध नहीं होने पर कलावे से भी दीया जलाया जा सकता है।
ऐसे में इसके नियम और महत्व के बारे में जानना बेहद ही जरूरी हो जाता है। आइए हम आपको बताते हैं कि कलावे वाली दीया का महत्व क्या है।
एक समय दीया प्रकाश का स्रोत माना जाता था लेकिन अब यह धार्मिक महत्व माना जाता है। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है।
कलावे यानी लाल रंग के धागे से बत्ती वाली दीया जलाने को बहुत ही शुभ फल माना जाता है। इससे घर में माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है।
मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा करते समय भक्तों को उनके सामने कलावे वाली दीया जलानी चाहिए। इससे मंगल दोष से मुक्ति मिलती है।
दीपो ज्योति प्रब्रह्मा दीपो ज्योतिर्जनार्दनः, दीपो हरतु मे पाप संध्यादीप।। शुभ करोती कल्याणम आरोग्यम धनसंपदा।।
इस लेख में दी गई सभी जानकारियां एक सामान्य मान्यताओं पर आधारित है जिसकी हम अपनी तरफ से कोई भी पुष्टि नहीं करते हैं।