हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार बहुत अहम है। यह सोलह संस्कारों में से एक है। प्रायः बच्चे के जन्म के पहले, तीसरे, पांचवे वर्ष में मुंडन संस्कार किया जाता है।
मुंडन संस्कार शुभ मुहूर्त देखकर किया जाता है। ऐसा करना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना जाता है। ऐसे में जानेंगे कि मुंडन संस्कार क्यों जरूरी है?
बच्चे के सिर पर बालों का संबंध उसके पूर्व जन्म के कर्मों से माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मुंडन करने से बच्चे को पूर्व जन्म के कर्मों से मुक्ति मिल जाती है।
वहीं, मुंडन करने से बच्चे के जीवन की नई शुरुआत मानी जाती है और इससे जातक को दीघार्यु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
वहीं, मुंडन करने को लेकर कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं। दरअसल, मुंडन कराने के बाद सिर सूर्य की रोशनी में आता है और विटामिन-़डी अवशोषित करने में मदद मिलती है।
बच्चे जब मां के गर्भ में होता है तो उसके बालों में कुछ अशुद्धियां आ जाती हैं, जो मुंडन कराने के बाद दूर होती हैं।
यह संस्कार घर के आंगन में कराया जाता है। इसके अलावा किसी धार्मिक स्थल पर भी यह संस्कार किया जा सकता है।
वहीं, मुंडन संस्कार से पहले हवन का आयोजन किया जाता है। इसके बाद मां बच्चे को गोद में लेकर बैठती हैं और बाल उतारकर सिर को गंगाजल से धुलवाया जाता है।
सिर के बाल उतारने के बाद बच्चे के सिर पर हल्दी का लेप लगाया जाता है। मुंडन संस्कार करने के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादश, त्रयोदशी तिथि शुभ मानी जाती है।
मुंडन संस्कार का धार्मिक और वैज्ञानिक रूप से बहुत महत्व है। ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM