शनि देव की महानता को कौन नहीं जानता है। इन्हें न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इनका महत्व काफी ज्यादा है।
शनि सबसे ज्यादा धीमी चाल चलने वाले ग्रह हैं, वह करीब ढाई साल में अपना राशि परिवर्तन करते हैं। वो जातकों को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
इसलिए कुंडली में शनि की शुभ और अशुभ स्थिति और व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्म का असर उसके जीवन के ऊपर पड़ता है।
आपकी कुंडली में यदि नीच शनि हो तो जातक, आर्थिक, शारीरिक, मानसिक कष्ट झेलता है। क्योंकि शनि कर्मों के अनुसार फल देते हैं।
वहीं, बुरे कर्म करने वाले को शनि काफी झटका देते हैं। ऐसे में शनि के प्रकोप से आपको बचना है तो गलत कार्यों को हमेशा के लिए तौबा कर दें।
वहीं, बुरे कर्म करने वाले को शनि काफी झटका देते हैं। ऐसे में शनि के प्रकोप से आपको बचना है तो गलत कार्यों को हमेशा के लिए तौबा कर दें।
शनि देव को ऐसे लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं आते हैं जो नारियों का अपमान करते हैं। खासतौर पर बूढ़े, लाचार लोगों को सताने वाले को नहीं छोड़ते हैं।
बच्चों, बुजुर्गों, लाचार, दिव्यांग, मजदूरों और सफाई कर्मचारी लोगों का मजाक उड़ाने वाले या उनको सताने वाले को शनिदेव नहीं छोड़ते हैं।
शनि देव ऐसे लोगों को बिल्कुल नहीं बख्शते हैं जो बेजुबान जानवर, पक्षी, पशुओं का मजाक बनाते हैं। उन्हें वो भयानक दंड देते हैं।