श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न रामायण के पात्र थे। आइए जानते है यह चारों शिक्षा प्राप्त करने के लिए कहा गए थे?
अयोध्या के राजा दशरथ को पुत्र कामेष्टि यज्ञ के बाद चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। दशरथ के पुत्रों में सबसे ज्येष्ठ श्री राम, फिर भरत, फिर लक्ष्मण और सबसे छोटे शत्रुघन थे।
श्री राम माता कौशल्या के पुत्र थे, भरत की माता कैकेयी थी और लक्ष्मण और शत्रुघ्न माता सुमित्रा के पुत्र थे। अयोध्या की तीनों रानियों को पुत्र कामेष्टि यज्ञ के बाद ही पुत्र की प्राप्ति हुई थी।
श्रीराम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। भगवान राम न्याय प्रिय थे और रघुकुल की गरिमा और मर्यादा को बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे।
श्रीराम के चारो ही भाई उनके पद चिन्हों पर चलते थे। लक्ष्मण भी श्रीराम के भक्त थे, उन्होंने अपने भाई की सेवा के लिए अयोध्या की सभी सुविधाएं छोड़कर वन में रहने का फैसला किया था।
कैकेयी पुत्र भरत रामायण के सबसे खूबसूरत किरदारों में से एक है। भरत ने राज पाठ मिलने के बाद भी सब कुछ त्याग दिया था। भरत ने श्रीराम को वनवास देने के लिए माता कैकेयी तक पर क्रोध जताया था।
सभी भाइयों में सबसे अनुज शत्रुघन के अंदर भी श्रीराम के गुण थे। लक्ष्मण और शत्रुघ्न जुड़वा भाई थे, शत्रुघन भी श्रीराम के वनवास जाने की खबर सुनकर काफी भावुक हुए थे।
श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न में काफी प्यार और भाईचारा था। चारों भाईयों की शिक्षा गुरु वशिष्ठ के सप्तऋषि आश्रम में हुई थी। इसी आश्रम में श्रीराम समेत सभी भाईयों ने शिक्षा-दीक्षा ली थी।
श्रीराम के जीवन से जुड़ी यह स्टोरी आपको पसंद आई तो ऐसी ही धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ