हिंदू धर्म में सभी लोग अपने रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह करते हैं। किसी मांगलिक कार्यक्रम के दिन पीले रंग को पहनना शुभ माना जाता है। इस रंग से विवाह में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है। पीली साड़ी में शादी कराने की परंपरा क्यों है? आइए जानते हैं-
पीले रंग को पूजा के समय इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि विवाह के समय भी पीले रंग के कपड़ों को पहना जाता है। इस रंग के कपड़ों को फेरे के दौरान पहना जाता है।
पीले रंग का संबंध बृहस्पति ग्रह से माना जाता है। देव गुरु बृहस्पति को शुभ कार्य करने वाला ग्रह कहा जाता है। यही कारण है कि पूजा-पाठ में और विवाह के दौरान पीले कपड़े पहने जाते हैं।
में लाल के साथ पीले रंग का भी महत्व है। पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है। नए विवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। इन देवी-देवताओं में श्री विष्णु का विशेष स्थान है।
ऐसा माना जाता है कि पीला रंग धारण करने से कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है और किसी प्रकार की बुरी नजर या शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता। साथ ही, वैवाहिक जीवन सुखी रहता है।
हल्दी की रस्म में लोग पीले रंग को शुभ माना जाता है, जो नए जोड़े साथ में अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर रहा होता है, उसके लिए रंग के अच्छे भाग्य की वजह से समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
दुल्हन की साड़ियां कई रंगों में मिलती है। हिंदू शादियों में दुल्हनें अक्सर पीले रंग की साड़ी पहनती हैं, जो समृद्धि, खुशी और शुभता का प्रतीक है। इससे वैवाहिक जीवन अच्छा बीतता है।
इसलिए पीली साड़ी में शादी कराई जाती है। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM