सावन का पर्व शुरु होने वाला है। इन दिनों में शिव भक्त कावड़ यात्रा पर निकलते हैं। इस यात्रा को फलदायी और शुभ माना जाता है। इन दिनों में शिव जी अपने भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं। आइए जानते हैं कि डाक कांवड़ को मुश्किल क्यों माना जाता है-
एक कावड़िया कावड़ को लेकर पैदल दौड़ता है और बाकी लोग वाहन में होते हैं, जब एक थक जाता है तो दूसरा कावड़िया कंधे में कांवड़ को लेकर दौड़ता है। डाक कांवड़ शुरू होने के बाद कहीं पर भी रुकनी नहीं चाहिए। इसीलिए डाक कांवड़ को सबसे कठिन माना जाता है।
डाक कांवड़ पर निकले भक्त अगर एक बार कावड़ उठा लेते हैं, तो उसके बाद शिव धाम पहुंचने तक रुक नहीं सकते।
इस डाक कावड़ को पूरा करने का समय होता है, जो भक्तों को 24 घंटे के अंदर शिव घाम तक पहुंचाना होता है। इसलिए इसे कठिन माना जाता है।
डाक कांवड़ के दौरान भक्त बिना आराम किए लगातार चलते रहते हैं। दिन और रात दोनों समय में चलते रहते हैं क्योंकि उन्हें अपनी यात्रा जल्दी पूरी करनी होती है।
जब डाक कावड़ मंदिर में अभिषेक करने के लिए आती है तो मंदिर में इनके लिए स्पेशल व्यवस्था की जाती है और इनके लिए रास्ता साफ करा दिया जाता है जिससे बिना रुके सीधे शिवलिंग पर जल चढ़ा दें।
डाक कावड़ को दौरान भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही, सावन के पावन महीने में डाक कावड़ वाले भक्तों के सभी पाप शाप नष्ट हो जाते हैं।
इसलिए डाक कांवड़ को मुश्किल माना जाता है। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM