महाभारत में द्रौपदी का चीर हरण कुरुक्षेत्र की भूमि के लाल होने की सबसे बड़ी वजह थी। आइए जानते है महाभारत में द्रौपदी को क्यों झेलना पड़ा था इतना अपमान?
द्रौपदी का जन्म राजा द्रुपद के घर में हुआ था। राजा द्रुपद ने यज्ञ के माध्यम से द्रौपदी को प्राप्त किया था। यज्ञ के दौरान राजा द्रुपद पुत्र प्राप्ति के बाद यज्ञ से उठकर जाने लगे थे।
राजा द्रुपद ने यज्ञ में अपनी बेटी के लिए दुनिभार के सभी दुख मांगे थे। इसी के चलते द्रौपदी को पूरे जीवन एक के बाद एक अपमान के घूंट पीने पड़े।
स्वयंवर के दौरान, जब अंगराज कर्ण अपनी विद्या दिखाने खड़े हुए तो द्रौपदी ने उन्हें सूतपुत्र कह कर पुकारा था। द्रौपदी ने कहा था कि वह एक सूत पुत्र से विवाह नहीं करेगी।
स्वयंवर के दौरान, द्रौपदी को अर्जुन ने जीता था। लेकिन, जब अर्जुन द्रौपदी को जीतने के बाद अपनी मां के पास आशीर्वाद लेने गए तो माता कुंती ध्यान में लीन थी।
ध्यान में लीन कुंती ने कहा कि अर्जुन ने जो भी जीता है वो पांचों भाई आपस में बाट लें। द्रौपदी के इन वाक्यों के बाद और ऋषि व्यास के कहने पर ही द्रौपदी ने पांचो पांडव से विवाह किया था।
महाभारत में दुर्योधन के कृत्य को इतिहास में हमेशा गलत ही माना जाएगा। लेकिन, इंद्रप्रस्थ में युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के समय द्रौपदी ने दुर्योधन को अंधे का पुत्र अंधा कहकर अपमानित किया था।
दुर्योधन द्वारा द्रौपदी का चीर-हरण ही महासंग्राम की ललकार था। दुर्योधन द्वारा द्रौपदी का अपमान महाभारत के युद्ध की सबसे बड़ी वजह थी।