गांधार राजा की पुत्री, गांधारी भी महाभारत की एक पात्र है। आइए जानते है गांधारी ने क्यों पूरे जीवन आंखों में पट्टी बांधी थी?
शकुनि की बड़ी बहन और गांधार नरेश सुबल की पुत्री गांधारी बेहद सुंदर थी और शिव जी की परम भक्त थी। रानी गांधारी का यह सपना था कि वह एक सुंदर और निपुण राजा से विवाह करें।
हस्तिनापुर के सिंहासन के रक्षक भीष्म जब गांधार राजा के पास गांधारी के विवाह के लिए हस्तिनापुर के युवराज का प्रस्ताव लेकर पहुंचे, तो गांधारी काफी प्रसन्न हुई थी।
गांधार नरेश को लगा कि भीष्म पांडू और गांधारी के विवाह की बात करने आए थे। लेकिन, भीष्म ने उन्हें बताया कि वह धृतराष्ट्र के लिए गांधारी का हाथ मांगने आए है तो गांधार नरेश काफी भावुक हो गए।
गांधार के राजा को यह बात पता थी कि वह अगर गांधारी के विवाह के लिए भीष्म को मना करेंगे तो वह उनके राज्य पर आक्रमण कर सकते है। ऐसे में गांधार नरेश को भीष्म की बात माननी पड़ी।
जब शकुनि को यह पता चला की उसकी सुंदर बहन का विवाह एक नेत्रहीन से तय हो गया हो तो वह काफी ज्यादा नाराज हुए। गांधारी का भी यह सुनकर काफी बुरा हाल था।
धृतराष्ट्र और गांधारी का विवाह तय हो गया था। धृतराष्ट्र की मां सत्यवती भी इस विवाह से काफी ज्यादा प्रसन्न थी। लेकिन, गांधारी ने अपने पति के लिए खुद को पूर्ण से समर्पित करने के लिए आंखों पर पट्टी बांध ली।
विवाह से पूर्व गांधारी का आंखों पर पट्टी बांधना ना सिर्फ प्रतिशोध था, बल्कि धृतराष्ट्र के लिए उनका प्रेम और समर्पण भी थी। गांधारी का यह मानना था कि जब उनके पति ही नेत्रहीन है तो उन्हें भी इस संसार को देखने का कोई हक नहीं है।