सनातन धर्म में महाकुंभ का विशेष महत्व है। आज पहले शाही स्नान में नागा साधुओं को पहला दर्जा दिया जाता है। आइए जानते हैं कि महाकुंभ में पहले नागा साधु स्नान क्यों करते हैं-
धार्मिक मान्यता के अनुसार नागा साधुओं को धर्म का रक्षक माना जाता है और कुंभ में शाही स्नान करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
मुगलकालीन साम्राज्य में जब कुंभ का आयोजन किया जाता था तो मुगल राजाओं ने आस्था के इस पर्व में बाधा उत्पन्न की थी। तब नागा साधु ने अपनी तपस्या छोड़कर मुगलों से टकराए थे। इसमें कई साधुओं ने बलिदान दिया था।
इसलिए नागा साधु को धर्म का रक्षक माना जाता है और शाही स्नान में भी पहले ही उन्हें दर्जा दिया जाता है। साथ ही, नागा साधुओं को हमेशा सम्मान देना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि इस महाकुंभ में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, कृपा भी प्राप्त होती है।
हिमालय में रहने वाले नागा साधु सारी सांसारिक मोह को त्यागकर ईश्वर की भक्ति में लीन रहते हैं और वह मौसम की परवाह छोड़ भगवान का ध्यान करते हैं।
महाकुंभ 2025 का आरंभ 13 जनवरी को हो चुका है और पहला शाही स्नान 14 जनवरी को है। इसके अलावा 2 ओर तिथियां है।
इन कारणों से महाकुंभ में पहले नागा साधु स्नान करते हैं। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM