सावन के पर्व की शुरुआत हो चुकी है। इस महीने में लोग अपने घर के आंगन में झूला झूलते हैं। इसमें मानसून आ चुका होता है और लोग इस मौसम का आनंद उठाते हैं। चारो तरफ हरियाली ही नजर आती है और लोगों को गर्मी से राहत भी मिलती है। आइए जानते हैं कि सावन में झूला क्यों झूलते हैं-
झूला झूलना मानसून ऋतु के आगमन प्रतीक भी माना जाता है। इसके अलावा सावन माह में बारिश होती है जिससे हवा ठंडी व शुद्ध हो जाती है।
ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले भगवान कृष्ण ने राधा रानी को सावन में ही झूला झुलाया था तभी से सावन में झूला झूलने की परंपरा चलती आ रही है।
झूला झूलते समय भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी को याद करते हुए गीत गाया था। इसलिए सावन में झूला झूलते समय गीत गाया जाता है।
सावन के झूलों की पौराणिक मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ द्वारा माता पार्वती के लिए झूला डाला था। भगवान भोलेनाथ ने स्वयं माता पार्वती को झूला झुलाया।
सावन के दिनों में झूला झूलने से मन को खुशी मिलती है। इसके साथ ही, मानसिक स्थिति को बनाने में मदद करता है।
सावन के महीने में प्रकृति के बीच झूला झूलने मजा लेते हैं, जिससे इंसान का तनाव दूर होता है और उदासी के पल को भूल कर प्रकृति के मजे लेते हैं।
इसलिए सावन में झूला झूलते हैं। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM