साल में दो तरह का तीज का त्योहार मनाया जाता है। लेकिन, हरियाली तीज नागपंचमी के दो दिन पहले श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है-
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हरियाली तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है और देवी-देवताओं का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
हरतालिका तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट रिश्तों को ध्यान में रखकर किया जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार करके पूजा अर्चना करती हैं और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
इस दिन महिलाएं सुबह घर के काम और स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं। महिलाओं के लिए श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके मायके से आता है।
ऐसा माना जाता है कि यह व्रत कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं, जिससे उन्हें भविष्य में मनचाहा पति मिल सकें और जीवन सुखमय रहें।
इस दिन पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं मां गौरी से पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद वह घर में उत्सव मनाती है।
इसलिए हरियाली तीज मनाई जाती है। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM