क्यों मनाते हैं बैसाखी? जानें इससे जुड़ा धार्मिक महत्व
By Prakhar Pandey2023-04-14, 10:09 ISTnaidunia.com
बैसाखी
बैसाखी के साथ ही पकी फसलों का काटा जाता हैं। यह त्योहार सिख समुदाय के लोगों के लिए बहुत बड़ा पर्व माना जाता हैं। आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़े धार्मिक महत्व के बारे में।
त्योहार
बैसाखी के दिन से ही सिख समुदाय के लोगों के लिए नववर्ष की शुरुआत होती हैं। बैसाखी के दिन सिख समुदाय से जुड़े लोग गुरुद्वारा जाते हैं।
धार्मिक महत्व
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार बैसाखी के ही दिन गुरू गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की शुरुआत करी थी। गुरु गोविंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु माने जाते हैं।
दान पुन्न
मान्यता हैं कि आज के दिन नई फसल को अपनी स्वेच्छा अनुसार दान करने से व्यक्ति को कभी धन की कमी नहीं आती हैं।
कैसे मनाते हैं त्योहार?
बैसाखी के दिन गुरुद्वारे में या अपने घर में भी सिख समुदाय के लोग खास पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे में जाकर गुरुवाणी सुनते हैं।
भांगड़ा
बैसाखी मनाने वाले लोग इस दिन शाम में घर के बाहर लकड़ियों में आग लगाकर और घेरा बनाकर भांगड़ी और गिद्दा कर के अपनी खुशिया जाहिर करते हैं और गले लगकर एक दूसरे को बधाई देते हैं।
इतिहास
सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने 30 मार्च 1699 को खालसा पंथ की शुरुआत की थी। गुरु जी ने सिख समुदाय के लोगों को इसी दिन भगवान और गुरु के लिए बलिदान देने के लिए कहा था।
हिंदू धर्म
हिंदू धर्म में इस दिन को ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता हैं और इसलिए आज के ही दिन बैसाखी और मेष संक्रांति मनाई जाती हैं। इस दिन सत्तू का सेवन किया जाता हैं।.
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