रात के समय हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। इसके पीछे धार्मिक आध्यात्मिक और व्यावहारिक कारण है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार अग्नि शुद्धता और ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। अंतिम संस्कार में आग का उपयोग आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए किया जाता है।
पुराने समय में बिजली और रोशनी की व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण रात के समय ही अंतिम संस्कार करना मुश्किल होता था। अंधेरे में सबको शमशान ले जाना और संस्कार करना और सुरक्षित माना जाता था।
मिलने में कठिनाई हिंदू धर्म में दिन का समय शुभ और रात का समय आराम करने के लिए माना गया है। ऐसा माना जाता है कि रात के समय अंतिम संस्कार करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलने में कठिनाई होती है।
हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि रात के समय नकारात्मक शक्तियां घूमती है। इन नकारात्मक शक्तियों और ऊर्जा से बचने के लिए अंतिम संस्कार दिन में किया जाता है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद यानि रात में अंतिम संस्कार करना शुभ नहीं होता। रात के समय अंतिम संस्कार करने से स्वर्ग के रास्ते बंद हो जाते हैं।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, रात के समय अंतिम संस्कार करने से आत्मा को मोक्ष नहीं मिलता। इसलिए सुबह होने का इंतजार किया जाता है।
रात के समय अंतिम संस्कार करने से मनुष्य की आत्मा भटकती रहती है और मोक्ष नहीं मिलता है। इसलिए सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार नहीं होता है।
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