महादेव का प्रिय पर्व शुरु होने वाला है। ऐसे में उनकी कृपा पाने के लिए हजारों भक्त कांवड़ यात्रा पर जाते हैं। ऐसे में शिव जी के मंदिर बाबा बैजनाथ पर कांवड़ियां जल चढ़ाते हैं, जिससे उनके जीवन के सारा कष्ट शिव जी हर लें। आइए जानते हैं कि कांवड़ का जल बाबा बैद्यनाथ पर क्यों चढ़ाया जाता है-
इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को कामना लिंग के नाम से भी जानते हैं। ये लिंग रावण की भक्ति का प्रतीक है। इस जगह को लोग बाबा बैजनाथ धाम के नाम से भी जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर को बाबा बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह बैद्यनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
कावड़ियां जो जल लेकर आते हैं, उसे बाबा बैद्यनाथ मंदिर में चढ़ाते हैं। कांवड़ के जल को इस मंदिर में चढ़ाने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिव जी की कृपा प्राप्त होती है।
देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम भगवान भोलेनाथ का एकमात्र मंदिर है। जहां शिव और शक्ति दोनों एक साथ विराजमान हैं, इसलिए इसे शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि बाबा भोले के भक्त जब सावन में बाबा बैजनाथ मंदिर में कांवड़ लेकर आते हैं, तो उन्हें शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद मिलता है। शिव जी उनकी सभी इच्छाएं पूरी करते हैं।
सावन के दिनों में भगवान शिव के भक्त अक्सर बाबा बैजनाथ धाम जाते हैं। इन दिनों यहां जाना शुभ माना जाता है, क्योंकि सावन के दिनों में भक्तों की बरसात देवघर होती है और वहां रौनक बनी रहती है।
धार्मिक शास्त्र के अनुसार, शिवलिंग का जलाभिषेक हमेशा तांबे या पीतल के लोटे से करना चाहिए। पीतल और तांबे के लोटे से जल अर्पित करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इसलिए कांवड़ का जल बाबा बैजनाथ पर चढ़ाया जाता है। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM