उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में एक श्री काशी विश्वनाथ बेहद खास माना जाता हैं। आइए जानते है कि क्यों हैं काशी विश्वनाथ इतना खास?
काशी विश्वनाथ को विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता हैं। बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने मात्र से ही आपको काफी सकारात्मकता महसूस होगी और आपके सभी कष्ट कटेंगे।
काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के साथ-साथ भक्तों को बाबा भैरवनाथ के दर्शन भी जरूर करने चाहिए। बाबा भैरवनाथ को काशी का कोतवाल कहा जाता हैं।
मान्यता हैं कि सिर्फ काशी विश्वनाथ का दर्शन करने मात्र से आपको पूरा फल नहीं मिलता हैं। बाबा भैरवनाथ का दर्शन करना भी अनिवार्य होता हैं।
काशी को मोक्षदायिनी कहने का सार यह हैं कि जो मनुष्य यहां पर अपने शरीर को त्यागता वह संसार के सारे बंधनों से मुक्त हो जाता हैं और मोक्ष को प्राप्त होता हैं।
पुराणों के अनुसार काशी में भगवान विष्णु के अश्रु गिरे थे, जिससे बिंदु सरोवर का निर्माण हुआ था।साथ ही पुष्कर्णी भी भगवान विष्णु के चिंतन से ही बनाई गई थी।
माना जाता है कि गंगा नदी के पवित्र धारा में स्नान करके काशी विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
कथाओं में यह प्रचलित हैं कि शिव जी और मां पार्वती की शादी के बाद मां पार्वती अपने पिता के घर रहती थी। मन न लगने पर उन्होंने शिव जी से प्रार्थना की। फिर साथ में भोले बाबा और मां पार्वती काशी में ही बस गए।