ज्यादातर लोगों को यह पता है कि भगवान राम ने रावण का वध करके सीता माता को छुड़ाया था। आज हम आपको बताएंगे भगवान राम को क्यों कहते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम?
प्रभु श्रीराम को धरती पर विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। श्रीराम ने रावण का संहार करने के लिए त्रेता युग में अवतार लिया था।
रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाय। राम ने रघुकुल की रीत का पालन करते हुए अपने पिता की बात मानी।
प्रभु श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कभी भी जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया।
माता कैकेयी की इच्छा का सम्मान करते हुए प्रभु श्रीराम ने अपने पिता दशरथ की सिर्फ एक बार बोलने पर ही अयोध्या छोड़ कर 14 वर्ष के वनवास पर चले गए।
प्रभु श्रीराम ने वनवास के दौरान भी अपनी मर्यादा के साथ जीवन जिया था। श्रीराम ने सीता में के अलावा पूरे जीवन माता सीता के अलावा किसी पराई स्त्री पर नजर नहीं डाली।
रावण द्वारा सीता मां का हरण कर लेने के बाद भी प्रभु श्रीराम ने कोई भी अनैतिक कदम नहीं उठाया है। श्रीराम ने अपने पूरे जीवन में कोई ऐसा काम नहीं किया जो मर्यादा के विरुद्ध है।
जब रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी रणभूमि में यह देखने आई कि किसने उनके पति का वध किया है। श्रीराम ने उनकी परछाई पड़ने से पहले उठकर उन्हें प्रणाम किया और माफी मांगी।