हिंदू धर्म में भगवान शिव जी का विशेष महत्व माना जाता है। उनकी पूजा-अर्चना करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं।
भगवान शिव को जल्द ही प्रसन्न करने के लिए भक्त उन्हें बेलपत्र, काले तिल और तरह-तरह की उनकी प्रिय चीजों को अर्पित करते हैं।
तुलसी को हिंदू धर्म में शुभ पौधा माना जाता है और इसके दल को भी पूजा में इस्तेमाल करते है, लेकिन शिव को अर्पित करने से मना किया जाता है।
पूर्व जन्म में तुलसी का नाम वृंदा था और उनका विवाह राक्षस जालंधर से हुआ था। जालंधर शिव जी का ही एक अंश था, लेकिन बुरे कर्मों के कारण इसका जन्म राक्षस कुल में हुआ था।
जालंधर की पत्नी वृंदा एक पवित्र स्त्री थी इसी कारण उसके पति को कोई मर माना जाता है। इसके लिए भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप धारण किया और उन्होंने वृंदा की पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया।
इस बात का वृंदा को पता चलने के बाद उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया था। जिस कारण तुलसी की दल को शिव जी को नहीं चढ़ते है।
अगर आप भगवान शिव को भूलकर भी तुलसी का दल अर्पित करते है, तो आपसे शिव जी क्रोधित हो सकते है इसलिए ऐसा करने से परहेज करें।