शिवलिंग की अभिषेक करने के साथ ही परिक्रमा भी की जाती है। आइए शिवलिंग की परिक्रमा से जुड़े कुछ नियमों को जानते हैं।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार शिव पूजन शिवलिंग के पूजा करने से बिना अधूरा माना जाता है। शिवलिंग को जल अर्पित करना विशेष माना जाता है।
शिव पुराण और कई शास्त्रों में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने के बारे में बताया गया है। आधी परिक्रमा करने से मनोकामनाएं पूरी होती है।
शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने के पीछे ये कारण है कि जब हम शिवलिंग की परिक्रमा कर रहे होते हैं तो उस पर डालें जल की निकासी वाली जगह को पार नहीं करते हैं।
इस जल को अत्यंत पवित्र माना जाता है और ये जल जिस मार्ग से निकलता है, उसे निर्मली या जलाधारी कहा जाता है।
शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा सही दिशा से करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार परिक्रमा बाई और से करना चाहिए।
शिवलिंग की जलहरी को शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जलहरी को लांघना घोर पाप माना जाता है।