नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है। 9 अप्रैल से शुरु हुई नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना का विधान होता है। आइए जानते है नवरात्रि के दूसरे किस उपाय से आप मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न कर सकते है?
मां ब्रह्मचारिणी को सौभाग्य और संयम प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। मां देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है।
ब्रह्म का अर्थ तपस्या और चारिणी का मतलब आचरण वाली होता है। इस प्रकार इस नाम का अर्थ है तप का आचरण करने वाली देवी।
माता का रूप बेहद मनमोह लेने वाला है। दाहिने हाथ में मंत्र जपने की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए माता बेहद मनमोहक लगती है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सभी रूके हुए कार्य पूर्ण होते है। इसके साथ ही, जीवन से हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती है। माता की पूजा करते समय कुछ विशेष मंत्रों के जाप से भी बेहद लाभ होता है।
1. या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।, 2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के बाद ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा की सामग्री तैयार करें। आसान बिछाकर फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। इसके बाद भोग लगाएं और माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के बाद उन्हें शक्कर का भोग लगाना चाहिए। मान्यता अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है। पूजा के पश्चात आरती अवश्य करनी चाहिए।
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