इस्लामाबाद। पाकिस्तान के बालाकोट में चल रहे जैश-ए-मोहम्मद के कैंप में भारतीय वायु सेना के द्वारा की गई एयरस्ट्राइक के 43 दिन बाद पाकिस्तानी सेना अंतरराष्ट्रीय मीडियाकर्मियों के एक टीम और विदेशी राजनयिकों को मदरसे और उसके आस-पास के इलाके में ले गई। हालांकि, एयरस्ट्राइक के बाद काफी दिनों तक यहां पर पत्रकारों के आने पर रोक थी। साथ ही स्थानीय लोगों को भी आस-पास के इलाकों में आने-जाने से रोक दिया गया था।
इस दौरान पत्रकारों ने को हिदायद दी गई थी कि वे स्थानीय लोगों से ज्यादा बात नहीं करें। बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना जिन पत्रकारों को हमले की साइट पर ले गई थी, उनमें से एक उनका पत्रकार भी शामिल था। उसने बताया कि टीम को एक हेलीकॉप्टर में इस्लामाबाद से मानसेरा ले जाया गया। इसके बाद वे कठिन पहाड़ी इलाके में करीब डेढ़ घंटे तक पैदल चलकर मदरसे तक पहुंचे।
इस बीच रास्ते में पाकिस्तानी सेना ने अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों की टीम को तीन अलग-अलग जगहें दिखाईं। पाकिस्तान की सेना के मुताबिक, पत्रकारों के टीम को चढ़ाई करते वक्त पहाड़ के ढलान पर एक गड्ढा भी दिखाया गया, जहां भारतीय विमानों ने विस्फोटक गिराए थे।
सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने बताया कि यह पुराना मदरसा है और हमेशा से ऐसा ही था। यह उस स्थान पर विदेशी मीडिया एवं राजनयिकों का पहला औपचारिक दौरा था, जहां भारत ने हमला कर सैकड़ों आतंकवादियों को मारने का दावा किया था।
हालांकि, पाकिस्तान शुरू से ही भारत के इस दावे का खंडन करता रहा है। पाकिस्तान का दावा कर रहा था कि हमले में कुछ पेड़ों को नुकसान पहुंचने के अलावा एक व्यक्ति घायल हुआ था। मगर, सवाल यह है कि यदि पाक का यह दावा सही था, तो उसने अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों की टीम को वहां ले जाने में इतना लंबा समय क्यों लगाया। माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने उस इलाके से हमले में हुए नुकसान के सबूत मिटाने के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया को वहां जाने की इजाजद दी है।
A group of international media journalists mostly India based and Ambassadors & Defence Attachés of various countries in Pakistan visited impact site of 26 February Indian air violation near Jabba, Balakot. Saw the ground realities anti to Indian claims for themselves. pic.twitter.com/XsONflGGVP
— Maj Gen Asif Ghafoor (@OfficialDGISPR) 10 April 2019
पाकिस्तानी सरकार ने मीडिया को आश्वासन दिया था कि उन्हें उस स्थान पर ले जाया जाएगा, जहां भारत ने "सर्जिकल स्ट्राइक" करने का दावा किया था। हालांकि, सरकार बाद में अपने वादे से पीछे हट गई। पाकिस्तान सशस्त्र बल के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने विदेशी पत्रकारों की यात्रा की झलक दिखाते हुए एक वीडियो ट्वीट किया। इसमें कहा गया कि अधिकांश अंतरराष्ट्रीय मीडिया पत्रकार भारत से बाहर थे। उन्होंने कहा कि अपने भारतीय दावों के खिलाफ जमीनी हकीकत को देखा। उन्होंने कहा कि साइट पर बड़े पैमाने पर नुकसान के भारत के दावों का खंडन करता है।
बता दें, 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इसके जवाब में भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप पर एयरस्ट्राइक की थी। भारत का दावा है कि इस एयरस्ट्राइक में बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए थे।
Posted By: Shashank Shekhar Bajpai