ज्ञात हो कि सीबीआइ ने शुक्रवार को भिलाई में रह रहे एचसीएल के पूर्व सीएमडी कैलाश धर दीवान तथा संतोष शर्मा व डायरेक्टर दिलीप महाजन के साथ ही अन्य अधिकारियों के यहां छापा मारा था। रविवार को सीबीआइ के चार अधिकारी दस्तावेजों की जांच करने मध्यप्रदेश के मलाजखंड भी गए थे। जांच अभी भी चल रही है। रविवार को ही सीबीआइ ने पांच अधिकारियों सहित अन्य पर भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम सहित धोखाधड़ी व अन्य आरोपों में केस दर्ज किया है।
इन अधिकारियों ने कापर से सोना निकालने के लिए पायलट प्लांट लगवाया। योजना सफल नहीं हुई फिर भी कमर्सियल प्लांट के लिए चेन्न्ई की एक कंपनी स्टार ट्रेस प्राइवेट लिमिटेड को 100 करोड़ का भुगतान कर दिया। इस मामले में कंपनी ने तत्कालीन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर दिलीप महाजन को बर्खास्त कर दिया था जबकि दो साल पहले रिटायर हुए पूर्व सीएमडी संतोष शर्मा का रिटायरमेंट के बाद मिलने वाला 75 लाख रुपया रोक दिया है।
सीबीआइ एचसीएल के तत्कालीन सीएमडी कैलाश धर दीवान, पूर्व कार्यकारी निदेश्क (सामग्री व अनुबंध) दिलीप कुमार महाजन, महाप्रबंधक (परियोजना) विनय कुमार सिंह, तत्कालीन निदेश्क (संचालन) व पूर्व सीएमडी संतोष शर्मा तथा तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक (इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग) विवेक गुप्ता के 2016 से 2020 के कार्यकाल के दौरान की गई गड़बड़ियों की जांच कर रही है।
बताया गया है कि इन अधिकारियों के कार्यकाल में 854 करोड़ के कैश रिजर्व वाली एचसीएल का कैश रिजर्व शून्य हो गया। मध्यप्रदेश के बालाघाट निवासी अशोक भटनाकर ने इस मामले की सीबीआई से लिखित शिकायत की थी।
सीएमडी पर लगे हैं गंभीर आरोप
स्टील अथारिटी आफ इंडिया के भिलाई स्थित रिफैक्ट्री प्लांट से उप महाप्रबंधक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के पश्चात कैलाश धर दीवान ने 2012 में एचसीएल में चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर (सीएमडी) का पद ग्रहण किया। वह 2017 तक कंपनी के सर्वेसर्वा रहे। 2012 में शकील अहमद कंपनी के सीएमडी थे। आरोप है कि उनसे पदभार लेने के बाद कैलाश धर दीवान ने कंपनी के हितों की बजाय निजी स्वार्थ को महत्व दिया और कंपनी का खाता खाली कर दिया।
निकल प्लांट पर भी गंवाए पैसे
कैलाश धर दीवान ने सीएमडी रहते हुए कापर से सोना, चांदी व सिलिका निकालने के लिए 280 करोड़ के प्लांट की साजिश तो रची ही थी, निकल प्लांट के लिए भी 25 करोड़ रुपये की योजना तैयार की। कापर से निकल निकालने के प्लांट पर 19 करोड़ रुपये फूंके गए। छह करोड़ का व्यय अन्य मद में प्रदर्शित किया गया परंतु परिणाम शून्य रहा। आरोप है कि भ्रष्टाचार करने के लिए यह योजनाएं बनाई गईं।
कंपनी के पैसे से विदेश यात्रा
कंपनी के संयंत्रों को स्थापित करने के लिए पांच बड़े अधिकारियों ने कंपनी के पैसे से अमेरिका व कनाडा की यात्राएं की। इन यात्राओं पर छह करोड़ व्यय किए गए। सीबीआइ को मिली शिकायत में प्रश्न उठाया गया है कि जिस अयस्क में निकल, सोना, चांदी की मौजूदगी का कोई प्रमाण ही नहीं था उसके लिए प्लांट लगाने की मंजूरी कैसे दी गई। कैलाश धर दीवान, संतोष शर्मा, विवेक गुप्ता, संजय सिंह व रामानंद अधिकारी विदेश यात्राओं के लाभार्थी रहे। अब इस प्रकरण की भी जांच चल रही है।