Raipur News: डाक्टरों का कमाल, हृदय के पुराने वाल्व में नए वाल्व का प्रत्यारोपण कर 75 साल बुजुर्ग को दी नई जिंदगी
Raipur News:मरीज का वर्ष- 2009 में एक निजी हृदय चिकित्सालय में ओपन हार्ट सर्जरी के जरिए पैरामाउंट वाल्व का प्रत्यारोपण किया गया था।
By Ashish Kumar Gupta
Edited By: Ashish Kumar Gupta
Publish Date: Thu, 29 Dec 2022 03:57:50 PM (IST)
Updated Date: Thu, 29 Dec 2022 10:40:31 PM (IST)

Raipur News: रायपुर में डॉक्टरों ने हृदय के पुराने वाल्व में नए वाल्व का प्रत्यारोपण कर 75 वर्षीय बुजुर्ग को नई जिंदगी दी है। राज्य में यह पहला आपरेशन है, जहां हृदय के पुराने वाल्व में नए वाल्व का प्रत्यारोपण करने का कमाल डाक्टरों ने किया है। बुजुर्ग के दिल में ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन प्रक्रिया के जरिए वाल्व का सफल प्रत्यारोपण किया गया।
कार्डियोलाजिस्ट डा. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि बुजुर्ग मरीज का वर्ष- 2009 में एक निजी हृदय चिकित्सालय में ओपन हार्ट सर्जरी के जरिए पैरामाउंट वाल्व का प्रत्यारोपण किया गया था। फरवरी- 2022 में मरीज को इस वाल्व के कारण परेशानी प्रारंभ हो गया था। एओर्टिक स्टेनोसिस के केस में हार्ट में एनजाइना, दर्द होना शुरू हो जाता है, तो इंसान का जीवनकाल तीन साल तक ही शेष रह जाता है। यदि चक्कर आता है और बेहोश हो जाता है तो दो साल तक ही जीवनकाल शेष रहता है।
हृदय 35 प्रतिशत ही कर रहा था काम
भीमराव आंबेडकर अस्पताल के डाक्टरों (कार्डियोलाजिस्ट विभाग) चिकित्सक ने बताया कि वयोवृद्ध मरीज को सीने में दर्द रहता था। चक्कर आते थे। हार्ट का फंक्शन 35 प्रतिशत ही था। सर्जरी के लिए अतिसंवेदनशील केस था। लिहाजा निर्णय लिया गया कि इसका तीव्र प्रक्रिया से इलाज करें। इन सबको देखते हुए यह डिसाइड किया कि इस मरीज को वाल्व इन वाल्व प्रत्यारोपित किया जाए। 22 दिसंबर को सफल प्रत्यारोपण किया गया। मरीज के शरीर से सोडियम का जाना कम हो गया। मरीज पूर्णत: स्वस्थ है। उन्होंने बताया कि बीमारी में ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन के माध्यम से वाल्व के अंदर वाल्व प्रत्यारोपित करने का राज्य का पहला यह केस है।
इस तरह हुआ आपरेशन
कार्डियोलाजिस्ट डा. स्मित ने बताया कि सीटी एंजियो के जरिए जांघ से हृदय तक की संरचनाओं का नक्शा बना लिया गया था। इस नक्शे के अनुसार दाहिने तरफ की जांघ की नस से 23 मिलीमीटर का स्वयं विस्तारित (सेल्फ एक्सपांडिंग) ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन किया गया। पैर की नसों में एक पतला तार डाला गया। उस तार को दिल के अंदर ले जाकर कैथ लैब में एक्स-रे को देखते हुए पुराने वाल्व में बैलून को फुलाया या खोला, फिर उसके अंदर एक नया वाल्व स्टेंट के साथ लगा दिया गया। प्रोसीजर के बाद यह सुनिश्चित किया गया कि दो वाल्व होने के बावजूद मरीज की हार्ट की नसों में कोई अवरूद्ध नहीं है।
आपरेशन में इन डाक्टरों ने दिया योगदान
आपरेशन में सीटीवीएस विभाग के विभागाध्यक्ष डा. केके साहू, डा. निशांत सिंह चंदेल, कार्डियोलाजिस्ट डा. जोगेश विशनदासानी, रेजिडेंट डा. प्रतीक गुप्ता, डा. कुमार उज्जवल, एकता सिंह एनेस्थीसिया व क्रिटिकल केयर से डा. श्रुति, तकनीकी सहयोग आइपी वर्मा, खेम सिंह, अश्विन साहू, बद्री, कुसुम, नवीन ठाकुर, नर्सिंग केयर इंचार्ज सिस्टर नीलिमा वर्मा व बुद्धेश्वर, अन्य सहयोगी के रुप में बीके शुक्ला, खोगेन्द्र साहू एवं डेविड तिर्की ने योगदान दिया।