रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। यूं तो डा. भीमराव आंबेडकर अस्पताल को न सिर्फ राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल होने गौरव प्राप्त है, बल्कि यह गरीब मरीजों के लिए किसी संजीवनी से भी कम नहीं रहा, लेकिन इन दिनों यहां फैली अव्यवस्था मरीजों के लिए काल बनती जा रही है। वहीं लगातार शिकायत के बाद भी अस्पताल प्रबंधन का रवैया मरीजों के घाव पर मिर्च डालने से कम नहीं लगता।
अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार पैथोलाजी लैब पूरी बंद हो गए हैं। माइक्रोबायोलाजी व बायोकेमिस्ट्री विभाग में भी कुछ ही जांचें हो रही हैं। बाकी बंद पड़ी हुई हैं। थायराइड, लिवर, किडनी फंगस, एचबीए-1सी, रीनल फंगसन, ब्लड कल्चर जैसी महत्वपूर्ण जांच नहीं हो रही हैं। इसका कारण रिएजेंट किट व जांच में उपयोग होने वाली सामग्री का न होना बताया जा रहा है।
मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति को देखकर यहां प्राइवेट लैब सक्रिय हो गए हैं, जो गरीब मरीजों से मनमानी राशि वसूल कर रहे हैं। इधर अस्पताल में इलाज के लिए जरूरी दवाओं का न होना मरीजों की मुसीबतों को और बढ़ा रहा है। अधिकतर मरीज अब बिना इलाज के अस्पताल से लौटने लगे हैं, लेकिन समस्याओं का सिलसिला यहां खत्म नहीं होता दिखता।
पार्किंग व्यवस्था के नाम पर अधीक्षक ने ऐसी व्यवस्था बनाई है कि मरीजों से दुर्व्यवहार करने की छूट कर्मचारियों को मिल गई है। जहां अस्पताल में बड़ी गाड़ियों के चलते सामने आ रही समस्याओं को नजरअंदाज कर पार्किंग में मरीजों और उनकी सेवा के लिए आए लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है।
किट और दवाओं की किल्लत के बाद मरीजों को मिलने वाले खाने पर भी अस्पताल प्रबंधन सेंधमारी कर रहा है। दरअसल मरीजों को मिलने वाले दो समय के नाश्ते व खाने में भी मात्रा व सामग्री गायब रहती है। हर दिन दूध, केला, अंडा, सब्जी व अन्य पौष्टिक आहार जो मिलने चाहिए, उनमें कटौती की जा रही है। थाली में गड़बड़ी को लेकर प्रबंधन को भी पूरी जानकारी है, लेकिन वे समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
सालभर से समस्या, लेकिन खत्म नहीं हुई
बता दें कि अस्पताल में दवाओं का टोटा व रिएजेंट की किल्लत की वजह से अधिकतर जांचें बंद होने की समस्या अभी की नहीं है। सालभर से यह परेशानी लगातार जारी है। लगातार शिकायत करने पर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि दवाओं व किट के लिए पत्र लिखा है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन द्वारा उन्हें न तो दवा दी जा रही, न खरीदने के लिए बजट उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं सीजीएमएससी लोकल पर्चेंसिंग के लिए अनुमति देने की बात कह रहा है।
आंबेडकर अस्पताल पर एक नजर
1,383 बिस्तर उपलब्ध है अस्पताल में
2,000 से अधिक मरीजों की ओपीडी हर दिन
500 से अधिक गंभीर रोगी पहुंचते हैं प्रतिदिन
दवा, जांच बंद होने, खाने में कटौती, पार्किंग से जुड़ी समस्याओं की शिकायत लगातार मिल रही है। हम अस्पताल से जुड़ी इन समस्याओं पर विचार करेंगे। कोशिश रहेगी जल्द समाधान हो।
-डा. एसबीएस नेताम, अधीक्षक, आंबेडकर अस्पताल