रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। प्रदेश में हाल ही में लागू किए गए पेसा कानून से असंतुष्ट आदिवासी प्रतिनिधियों ने मंगलवार को इसमें 112 बिंदुओं वाला संशोधन प्रस्ताव राज्यपाल अनुसुईया उइके को सौंपा है। राज्यपाल उइके ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि वे स्वयं आदिवासी समाज से हैं और उनके अधिकारों के लिए हमेशा खड़ी रहेंगी। उन्होंने ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी को भी मजबूती देने की बात कही।
रायपुर के साइंस कालेज मैदान में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी महासम्मेलन में राज्यपाल उइके को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल से छत्तीसगढ़ पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार नियम 2022 में संशोधन की मांग की, जिस पर राज्यपाल ने महाराष्ट्र की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी पेसा कानून का दायरा बढ़ाए जाने की बात कही।
उन्होंने कहा कि पेसा कानून में जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के अधिकार उल्लेखित हैं। वन अधिकार व ग्राम सभा के बारे में स्पष्ट किया गया है। वनोपज के क्रय-विक्रय व मूल्य के निर्धारण का भी अधिकार दिया गया है। राज्यपाल उइके से इसे लेकर आदिवासियों को जागरूक होने की बात कही।
उन्होंने कहा कि देश में आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब देश में सर्वोच्च पद पर आदिवासी महिला पहुंची हैं। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु से उम्मीद है कि वे आदिवासी हितों को प्राथमिकता देंगी। महासम्मेलन में दिल्ली, बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, असम, ओडिशा, कर्नाटक, लेह-लद्दाख, गोवा, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, दादर नागर हवेली, प. बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश आदि राज्यों के प्रतिनिधि शामिल रहे। इस दौरान यहां समाज प्रमुखों के द्वारा आदिवासी परंपराओं को लेकर भी चर्चा की गई।
आदिवासी बलिदानियों को मिले सम्मान
सम्मेलन में आदिवासी सम्मान के प्रतीक रहे और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल आदिवासी सेनानियों को सम्मान के साथ दर्जा दिए जाने की आवाज भी उठाई गई। बलिदानी गुंडाधूर, वीरनारायण सिंह, बिरसा मुंडा, रानी दुर्गावती की उपेक्षा को अपमानजनक बताया।