- प्रदेश के दो हजार स्कूलों में पेयजल का इंतजाम नहीं, 1208 शौचालय विहीन-
राज्य शिक्षा केंद्र की समीक्षा रिपोर्ट में सामने आई जानकारी
भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि
प्रदेश के 99987 प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में से 21 हजार में हैंडपंप नहीं हैं। दो हजार स्कूल तो ऐसे हैं, जहां पीने के पानी की व्यवस्था ही नहीं है। 1208 स्कूल शौचालय विहीन हैं। 44 हजार स्कूलों में बिजली तक नहीं है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जारी समीक्षा रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है। इन कमियों के लिए अब सभी जिलों के मिशन संचालकों से जवाब मांगा है। ज्ञात हो कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत साल 2014-15 में स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर विस्तृत आंकड़े जारी किए गए थे। इसके बाद स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने स्कूल शिक्षा विभाग हर साल करोड़ों का बजट जारी करता है। साल 2019-20 में करीब 1800 करोड़ की राशि जारी की गई थी। हर साल राशि मिलने के बाद भी अब तक स्कूलों में पीने के पानी का इंतजाम न होना और शौचालय विहीन स्कूल चिंता पैदा करते हैं।
आठ जिलों की स्थिति ज्यादा खराब
प्रदेश के आठ जिलों के स्कूलों की स्थिति ज्यादा ही खराब है। इनमें बड़वानी, छतरपुर, दमोह, राजगढ़, सिंगरौली, खंडवा, गुना और विदिशा शामिल हैं।
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महानगरों में इंदौर सबसे आगे
प्रदेश के चार महानगरों में इंदौर की स्थिति संतोषजनक है। यहां अधिकांश स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं। राजधानी भोपाल की बात करें तो यहां 29 स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, वहीं 16 स्कूलों में शौचालय तक नहीं बने।
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आंकड़ों से समझें प्रदेश के स्कूलों की बदहाली
भवन का अभाव- 1582
कम क्षतिग्रस्त भवन- 21,609
अधिक क्षतिग्रस्त भवन- 17,445
बाउंड्रीवॉल नहीं - 13759
कक्षाएं नहीं - 2007
शौचालय नहीं- 1208
बालक के लिए अलग शौचालय नहीं- 3654
बालिका के लिए अलग शौचालय नहीं - 2760
बदहाल शौचालय - 6828
बिजली नहीं - 43351
शौचालय में हैंडवॉश नहीं-37914
पीने का पानी का अभाव- 2007
हैंडपंप नहीं - 20835
नल नहीं - 90912
लाइब्रेरी नहीं - 7886
प्रधानाध्यापक के कक्ष नहीं - 46818
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बड़े शहरों के स्कूलों का हाल
भोपाल इंदौर जबलपुर ग्वालियर
स्कूलों की संख्या 860 1179 1811 1504
भवन नहीं 15 - 19 14
कम क्षतिग्रस्त भवन- 338 2 486 405
ज्यादा क्षतिग्रस्त भवन- 254 4 369 416
बाउंड्रीवॉल नहीं- 218 1 298 212
कक्ष नहीं - 6 4 14 7
शौचालय नहीं - 16 4 4 8
बालक के लिए अलग शौचालय नहीं 40 9 58 61
बालिकाओं के लिए अलग शौचालय नहीं-24 5 32 46
बिजली नहीं 540 2 667 381
पीने का पानी नहीं - 29 2 10 46
हैंडपंप नहीं - 284 399 403 255
नल नहीं- 625 905 1624 1263
लाइब्रेरी नहीं - 117 6 15 12
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इंदर सिंह परमार, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री से सीधी बात
सवाल- सरकारी स्कूलों में 2014-15 से जो मूलभूत सुविधाओं की कमी थी, सात साल बाद आज भी बनी हुई है।
जवाब- स्कूलों की शिक्षण से लेकर मूलभूत सुविधाओं की समीक्षा की जा रही है, कमियों को दूर किया जाएगा।
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सवाल- सरकारी स्कूलों की व्यवस्था कब तक सुधरेगी।
जवाब- प्रदेश के मिशन 10 हजार के तहत चयनित स्कूलों को पहले उत्कृष्ट किया जा रहा है। इसके बाद अन्य स्कूलों की व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएगा।
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सवाल- नई शिक्षा नीति लागू हो रही है तो सरकारी स्कूलों को सुदृढ़ बनाने को लेकर क्या कदम उठाएंगे।
जवाब - स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के साथ शिक्षा के स्तर को मजबूत बनाया जाएगा।