
आजीविका मिशन के जरिए मछली पालन सीख रही महिलाएं
फोटो 7
कोयलांचल की बंद ओपन कास्ट में महिलाएं कर रही मत्स्य पालन
छिंदवाड़ा। कोयलांचल में बंद खदानों में पानी भरने के कारण इनका कोई उपयोग नहीं रह गया था, अब इसी जमा पानी के जरिए महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर मिले हैं। आजीविका मिशन ने पहले चरण में दो स्वसहायता समूहों को प्रशिक्षण दिया है, जिसके बाद बंद ओपन कास्ट खदान के भरे पानी में सेट नेट डाला गया है। जिसमे लगी जाली के अंदर ही मछली पालन होगा। इस प्रोजेक्ट से प्रेरित अन्य समूह की महिलाएं भी मछली पालन उद्योग की मांग करने लगी है। आजीविका मिशन के विकास खंड अधिकारी प्रकाश मोहबेकर ने बताया कि हम चरणबद्ध तरीके से मछली पालन की ट्रेनिंग दे रहे हैं, फिलहाल परासिया विकास खंड अंतर्गत रावनवाड़ा की शारदा और जय मां संतोषी स्वसहायता समूह की सम्मलित महिलाओं को मछली पालन उद्योग के लिए प्रेरित कर प्रशिक्षित किया गया है।
चरणबद्ध तरीके से मिलेगा प्रशिक्षण
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मत्स्य विभाग महिलाओं को मत्स्य पालन का प्रशिक्षण दे रहा है, कोयलांचल की बंद ओपन कास्ट माइंस के भरे पानी में स्वसहायता समूह की महिलाएं मछली पालन करना सीख रही हैं। मछली पालन से न सिर्फ अपने परिवार का पालन पोषण कर सकेंगी, बल्कि जिन खदानों का कोई उपयोग नहीं हो रहा है, वो खदान इनके लिए एक नए रोजगार का अवसर लेकर आई है।
मध्यप्रदेश आजीविका मिशन के अंतर्गत परासिया विकास खंड में लगभग 655 स्वसहायता समूह संचालित हैं। जिसमे लगभग 7 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इन समूहों की महिलाओं को प्रशिक्षित कर मछली पालन का काम करने की तैयारी है। परासिया विकास खंड की पहचान वर्तमान में कोयला उद्योग के लिए है, अगर सब ठीक ठाक रहा तो ये विकास खंड मछली पालन का हब बन सकता है। जिससे रोजगार के अवसर के पैदा होंगे। महिला सुरभि यादव ने बताया कि लॉक डाउन के चलते हम लोगों के सामने रोजगार का बड़ा संकट आ गया है। पति के पास भी रोजगार का साधन नहीं है, ऐसे में मत्स्य पालन के काम में हम मेहनत करेंगे, जिससे निश्चित तौर पर बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकेंगे। साथ ही जिसके होने वाले लाभ से परिवार का पालन पोषण कर सकेंगे।