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छिंदवाड़ा। पर्यावरण के क्षेत्र में जिले की किस तरह संतोषजनक स्थिति है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिले में 40 फीसद बर रकबा वन आच्छादित है, पिछले साल भी परासिया और सौसर के कुछ क्षेत्रों में वन रकबा बढ़ा है जबकि कई जिलों में वन रकबा कम होने की जानकारी सामने आई है। इसकी प्रमुख वजह जिले के लोगों का पर्यावरण प्रेमी होना तो है ही साथ ही विभागीय स्तर पर भी यहां बेहतर प्रयास किए गए है। छिंदवाड़ा जिले का वन रकबा साल दर साल बढ़ रहा है। इस मामले में वनाधिकारियों की माने तो हर साल वन विभाग द्वारा लाखों पौधे रोपे जाते है। जिसमें कुछ प्रतिशत पौधे खराब हो जाते है तो वहीं अधिकांश पौधे पनप जाते है। साथ ही जिले की 20 लाख आबादी वाले क्षेत्र में 4 हजार 200 वर्ग किमी में फैला जंगल यानि 40 प्रतिशत वन क्षेत्र है। यानी आबादी के हिसाब से .021 वर्ग मीटर वन रकबा प्रति व्यक्ति है। जिसे वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सहजकर रखे हुए है।
छिंदवाड़ा जिले में हर साल लाखों पौधे वन विभाग द्वारा अलग-अलग योजनाओं के तहत रोपे जाते है। इन पौधों की देखरेख भी वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा की जाती है। इस मामले में वनाधिकारियों की माने तो हर साल रोपे जाने वाले पौधों में कुछ प्रतिशत पौधे खराब हो जाते है। लेकिन अधिकांश पौधे जीवित रहते है। इस कारण लगातार जिले में हरियाली बढ़ रही है। वर्तमान में जिले की भौगोलिक स्थति के अनुसार जिला 11 हजार वर्ग किमी में फैला हुआ है। जिसमें पेंच और सतपुडा पार्क का वन क्षेत्र भी आता है। जहां की आबादी 20 लाख से अधिक होने के साथ ही जिले का वन क्षेत्र करीब 4 हजार 200 वर्ग किमी में फैला हुआ है। जो जिले की भौगोलिक स्थिति का करीब 40 प्रतिशत है।
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हमारे द्वारा पर्यावरण क्लीयरेंस मैं इस बात का ध्यान हमेशा रखा जाता है कि पौधे प्रभावित न हो। यही वजह है कि यहां बड़े बड़े प्रोजेक्ट भी पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए क्लियर किए गए।
अविनाश करकेरा, रीजनल अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
जिले का 40 फीसद क्षेत्र वन आच्छादित है जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है हम लगातार इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि जो नए पौधा रोपण किए जाएं वो पौधे पनपे और विकसित हो ताकि रखो और विकसित हो।
आरएस कोरी, प्रभारी सीसीएफ छिंदवाड़ा वनवृत