नई दिल्ली/मुंबई, 1 फरवरी, 2025: सीमेंट निर्माता संघ (सीएमए) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए 2025-26 के बजट को लेकर अपनी संतुष्टि जताई। इस बजट में भारत की आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत और दूरदर्शी योजना पेश की गई है, जिसमें ग्रामीण और शहरी विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश में बढ़ोतरी, रोजगार सृजन और लोगों, अर्थव्यवस्था और नवाचार में रणनीतिक निवेश पर जोर दिया गया है।
बजट पर टिप्पणी करते हुए नीरज अखोरी, प्रेसिडेंट, सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएमए) और मैनेजिंग डायरेक्टर, श्री सीमेंट लिमिटेड, ने कहा, "सीएमए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रस्तुत केंद्रीय बजट की सराहना करता है, जो कि समग्र और समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। बजट भारत के विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत और सुदृढ़ अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी यात्रा को और सशक्त बनाता है।
सरकार द्वारा घोषित विभिन्न पहलों ने लोगों की आकांक्षाओं और देश की आर्थिक वृद्धि की भविष्य की जरूरतों के बीच सही संतुलन बनाए रखा है। राज्यों में इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ी हुई निवेश प्राथमिकता सीमेंट क्षेत्र के विकास के लिए नए अवसर और रास्ते खोलती है। हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने की सराहना करते हैं। साथ ही, हम राष्ट्र की प्रगति में साझेदार बनने की अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "बड़े पैमाने पर हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर बढ़ता खर्च निर्माण सामग्री की माँग में भी वृद्धि करेगा, जिससे क्षमता विस्तार और सतत प्रथाओं में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। हमें पूरा यकीन है कि इन चुनौतियों के बावजूद, ये उपाय सीमेंट उद्योग को इस वित्तीय वर्ष में स्थापित सीमेंट क्षमता के 6 प्रतिशत से अधिक की लगातार विकास दर हासिल करने में मदद करेंगे। बजट 2025-26 में किए गए नीतिगत सुधार सरकार के समाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की मंशा को जाहिर करते हैं।"
श्री पार्थ जिंदल, वाइस प्रेसिडेंट, सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएमए) और मैनेजिंग डायरेक्टर, जेएसडब्ल्यू सीमेंट लिमिटेड, ने कहा, "वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट एक दूरदर्शी रोडमैप है। यह वर्ष 2047 के 'विकसित भारत' की हमारी दृष्टि के अनुरूप है और भारत के सीमेंट उद्योग के भविष्य को बेहतर बनाने में अहम् भूमिका निभाएगा।
यह इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में वृद्धि को प्राथमिकता देता है। टेक्नोलॉजी में बढ़ा हुआ निवेश हरित सीमेंट समाधानों में प्रगति को तेज करेगा, जिससे उद्योग में स्थिरता और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। उम्मीद है कि महत्वपूर्ण आवंटनों से सीमेंट क्षेत्र सहित मुख्य क्षेत्रों में वृद्धि को मजबूती मिलेगी। इनमें नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 20,000 करोड़ रुपए और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए राज्यों को पूँजी खर्च पर 50 साल तक बिना ब्याज के 1.5 लाख करोड़ रुपए के ऋण शामिल हैं।"
उन्होंने आगे कहा, इसके अलावा, 'मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड' पहल के तहत कौशल विकास के लिए पाँच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना यह सुनिश्चित करेगी कि भारत का उभरता हुआ कार्यबल तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार हो।"
सीएमए, सरकार की एक आधुनिक, लोग-केंद्रित और भरोसेमंद नियामक ढाँचे के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता की सराहना करता है, जो व्यापार करने में आसानी पर जोर देता है। यह व्यवसायों को विकास की गति तेज करने में मदद करेगा।
जैसा कि वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा, अगले पाँच वर्ष 'सबका विकास' को साकार करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करेंगे, जिससे सभी क्षेत्रों में संतुलित विकास को बढ़ावा मिलेगा। राष्ट्र निर्माण में अहम् भूमिका निभाने वाला सीमेंट उद्योग नवाचार और तकनीकी एकीकरण के माध्यम से सरकार की सोच को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
"वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट को विकास की दिशा में प्रगति और भविष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जो टेक्नोलॉजी और ऊर्जा पर भारत की आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है। लिथियम-आयन बैटरी पर छूट और ईवी बैटरी निर्माण के लिए 35 नई छूटें, भारत को इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का वैश्विक हब बनाने की दिशा में तेजी से स्थानीयकरण और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देंगी।
नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन, जिसमें ईवी बैटरीज़, मोटर्स, कंट्रोलर्स और ग्रिड-स्तरीय स्टोरेज को शामिल किया गया है, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगा और स्थायी मोबिलिटी के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार करेगा। खासतौर से, ग्रिड-स्केल (ईएसएस) बैटरीज़ पर ध्यान केंद्रित करना जरुरी है, जिससे सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा और ईवी के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को तेज़ी से स्थापित किया जाएगा।"
10,000 करोड़ के स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स भी एक सराहनीय कदम है, जो उद्यमियों को विभिन्न चरणों में महत्वपूर्ण पूँजी प्रदान करेगा, जिससे विदेशी फंडिंग पर निर्भरता कम होगी और स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, न्यूक्लियर एनर्जी मिशन, जिसमें वर्ष 2047 तक 100 गीगावॉट का लक्ष्य और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर्स (एसएमआर) के लिए 20,000 करोड़ रुपए का आवंटन, भारत की स्वच्छ ऊर्जा की महत्वाकांक्षाओं को और मजबूत करता है।
साथ ही, ग्रामीण उधारकर्ताओं के लिए 'ग्रामीन क्रेडिट स्कोर' फ्रेमवर्क की शुरुआत एक क्राँतिकारी कदम है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय पहुँच को बेहतर बनाएगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करेगा। यह कदम स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और ग्रामीण उधारकर्ताओं को लोन और वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुँच प्रदान करके उन्हें सशक्त करेगा।