Share Market में फंडामेंटल पर भारी पड़ रहा चार्ट… एक्सपर्ट ने उदाहरण के साथ समझाया
Share Market: भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में अलग-अलग कारणों से उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। शेयर मार्केट के पुराने लोग अब भी फंडामेंटल्स पर जोर दे रहे हैं, लेकिन नई पीढ़ी के काम करने का तरीका अलग है। कहीं न कहीं इसका असर बाजार पर पड़ रहा है।
Publish Date: Sat, 28 Jun 2025 02:34:29 PM (IST)
Updated Date: Sat, 28 Jun 2025 02:34:29 PM (IST)

महेश नटानी, इंदौर, Share Market। शेयर बाजार के फंडामेंटल और बाजार-अर्थव्यवस्था व जमीनी सच्चाई दिखाते हैं, उन पर अब डेली के चार्ट भारी पड़ रहे हैं। दरअसल शेयर बाजार में इस समय दिन प्रतिदिन की ट्रेडिंग करने वालों में 18 से 35 वर्ष की उम्र वाले युवाओं की तादात कहीं ज्यादा है जो बाजार के इस हाल के लिए जिम्मेदार है।
ये निवेशक ना होकर ट्रेडर हैं जो ऑनलाइन गेम्स की तरह स्टाक मार्केट में भी ट्रेडिंग का गेम खेलते हैं। इनके लिए फंडामेंटल नहीं एलगोरिथम अहम हो गया है।
उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो बैंकिंग स्टॉक्स की तेजी फंडामेंटल के विपरीत है। असल में आरबीआई ने रेपो रेट कम किया है। ऐसे में बैंकों को अपनी ओर से दिए जाने वाले कर्ज पर तो ब्याज तुरंत घटाना होगा, लेकिन पुरानी एफडी और जमा योजनाओं पर तुरंत ब्याज कम नहीं कर सकेंगे, बल्कि उन्हें ज्यादा ब्याज देना होगा।
यह बैंकिंग सेक्टर के पक्ष में नहीं है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी है। रेयर अर्थ मेटल की कमी के साथ ही मारुति के चेयरमैन के बयान पर भी ध्यान देना होगा ताकि 12 प्रतिशत लोगों की आय ही सालाना 12 लाख या अधिक है।
ऐसे में कार बाजार को उम्मीद नहीं है। ऐसे में भी यदि शेयर ऊपर जाते हैं तो ये फंडामेंटल के कारण नहीं बल्कि चार्ट के कारण हो रहा है। खुदरा निवेशकों को समय रहते ऐसे सेक्टरों जैसे बैंकिंग, आटोमोबाइल आदि में प्राफिट बुक करते रहना चाहिए। क्योंकि कोई भी बाजार लंबे समय तक फंडामेंटल को ताक पर रखकर नहीं चल सकता है।
(महेश नटानी वित्त विश्लेषक व सलाहकार हैं।)