नवदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। उद्यमिता (Entrepreneurship) कोई सीखा जाने वाला हुनर नहीं है, बल्कि माहौल के हिसाब अपने आप विकसित हो जाने वाला अनुशासन है। स्कूल से ही विद्यार्थियों में रचनात्मक सोच विकसित करनी चाहिए। समस्या का समाधान खोजने वाला स्वभाव उद्यमिता के लिए बहुत जरूरी है। रिसर्च और तकनीक पर काम करने की जरूरत है। इसके बारे में डॉ. सत्य रंजन आचार्य भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान के निदेशक) ने बातचीत की।
मंगलवार को डॉ. सत्य रंजन ने उद्यमिता, एमएसएमई, स्टार्टअप, स्किल डेवलपमेंट को लेकर मीडिया संवाद में यह बात कही। डॉ. सत्य रंजन आचार्य ने कहा कि मध्य प्रदेश स्टार्टअप के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, लेकिन आइडिया को बिजनेस में बदले की हुनर अभी यहां के युवाओं में नहीं है। इसके लिए सपोर्ट की जरूरत होती है, वहीं एमएसएमई (MSME) का आधार मैन्युफैक्चरिंग है। बिजनेस के लिए नेटवर्किंग जरूरी है। अपने आइडिया को छिपाएं नहीं, बल्कि ग्रुप में शेयर करें।
डॉ. सत्य रंजन आचार्य के मुताबिक, आइडिया टिकाऊ होगा तो धन की दिक्कत नहीं होगी पर यदि आइडिया बिकाऊ नहीं है तो कोई भी पैसा लगाने को तैयार नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि ईडीआईआई एक राष्ट्रीय संसाधन संस्थान है जो उद्यमिता शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, संस्थान निर्माण, एमएसएमई विकास और स्टार्टअप इंक्यूबेशन के क्षेत्रों में कार्यरत है। अहमदाबाद स्थित यह एक स्वायत्त और गैर-लाभकारी संस्थान है, जिसकी शाखा भोपाल में भी है। EDII स्किल डेवलपमेंट के पाठ्यक्रमों का संचालन करता है और कई राज्यों में परियोजनाएं संचालित कर रहा है।